
आज भी यह भ्रम है कि रक्तदान करने से कमजोरी आती है और रक्तदान करना पीड़ादायक है ,लेकिन यह मिथक तभी टूटेगा जब आप रक्तदान की प्रक्रिया से गुजरेंगे

बिलासपुर प्रवीर भट्टाचार्य
संगीता कुशवाहा के पिता को जब खून की जरूरत पड़ी तो मदद के लिए कोई नहीं मिला। अपने पिता की जान बचाने के लिए संगीता ने किस किस के आगे हाथ नहीं जोड़ा, लेकिन भ्रम में घिरे समाज ने उसकी कोई मदद नहीं की ,लेकिन इस घटना से संगीता को समझ में आ गया कि मुसीबत के वक्त पर रक्त की आवश्यकता के दौरान पीड़ितों पर क्या बीतती है ।इसी जज्बे ने उन्हें रक्तदान करने को प्रेरित किया। यही वजह थी कि जब इस शनिवार को शासकीय जेपी वर्मा स्नातकोत्तर कॉलेज में जज्बा एजुकेशन एंड वेलफेयर सोसायटी और धृति फाउंडेशन द्वारा वार्षिक रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया तो संगीता कुशवाहा भी रक्तदान करने पहुंची।

बिलासपुर में रक्तदान की मुहिम को नई ऊंचाई देते युवाओं के संगठन जज्बा एजुकेशन एंड वेलफेयर सोसायटी द्वारा पिछले साल भी रिकॉर्ड रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया था और इस साल भी उसी जज्बे को बरकरार रखते हुए लगातार प्रयास किया जा रहा है कि युवा पीढ़ी भ्रम से बाहर निकले और रक्तदान कर अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को पूरा करें। पिछले साल भी इसी महा विद्यालय में रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया था उस दौरान 60 यूनिट रक्तदान किया गया था लेकिन इस बार परीक्षा की आपाधापी की वजह से केवल 38 यूनिट रक्तदान ही संभव हो पाया। शनिवार को महाविद्यालय में रक्तदान शिविर के अलावा रक्त वर्ग परीक्षण, हिमोग्लोबिन जांच और दंत परीक्षण भी किया गया, जिसमें धृति फाउंडेशन, जज्बा और चौधरी डेंटल ने सहयोग किया ।

आज भी यह भ्रम है कि रक्तदान करने से कमजोरी आती है और रक्तदान करना पीड़ादायक है ,लेकिन यह मिथक तभी टूटेगा जब आप रक्तदान की प्रक्रिया से गुजरेंगे। 18 से लेकर 60 साल की उम्र का कोई भी स्वस्थ व्यक्ति रक्तदान कर सकता है ।इस लिहाज से युवाओं की अहम जिम्मेदारी होती है और इसीलिए धृति फाउंडेशन ऐसे ही युवाओं को रक्तदान करने के लिए प्रेरित कर रहा है । धृति फाउंडेशन की सृष्टि पांडे बताती है कि उनकी भी कोशिश यही है कि रक्तदान जैसे अभियान के साथ अधिक से अधिक युवाओं को जोड़ा जाए इसीलिए उन्होंने शिविर का आयोजन कॉलेज में किया है

शनिवार के रक्तदान शिविर में करीब 80 छात्र-छात्राओं ने अपना रक्त वर्ग परीक्षण करवाया ,वहीं 50 से अधिक छात्र छात्राओं ने अपने दांतो की भी जांच करवाई जिन्हें आवश्यक सुझाव दिए गए
देश भक्ति की हिलोरे इन दिनों सोशल मीडिया पर उफान पर है ।हर कोई देश के लिए मरने मारने को उतावला है। देश के लिए हर कोई कुछ कर गुजरना चाहता है ,और ऐसा करना बेहद आसान भी है। आप ऐसा रक्तदान करके भी कर सकते हैं ।सरहदों पर खून बहाने से ही देश भक्ति प्रमाणित नहीं होती ।देश में रहने वालों के लिए अपने रगों में बहने वाले खून को दूसरे के शिराओं तक पहुंचा कर नई जिंदगी देना भी देश भक्ति का ही एक प्रकार है। जज्बा के संजय मालानी ने युवाओं से आवाहन किया की देशभक्ति दर्शाने के लिए वे बढ़ चढ़कर आगे आए और अपने खून से तरक्की की नई इबारत लिखें। देश को, देश के लोगों को उनके इस योगदान की जरूरत है जिसका कोई विकल्प नहीं है।
शनिवार को आयोजित रक्तदान शिविर में हालांकि अपेक्षा अनुरूप रक्तदाता सामने नहीं आए लेकिन यहां 5 के करीब महिला रक्त दाताओं ने भी रक्तदान कर नई मिसाल पेश की, वही एक यूनिट दुर्लभ ए नेगेटिव रक्त भी प्राप्त हुआ। रक्तदान करते हुए छात्रा संगीता कुशवाहा ने कहा कि उन्हें रक्तदान करने के दौरान कोई परेशानी या कमजोरी महसूस नहीं हो रही बस अच्छा लग रहा है कि उनका खून किसी के काम आएगा

शनिवार के इस रक्तदान शिविर में रक्त दाताओं को प्रेरित करने के लिए जज्बा एजुकेशन एंड वेलफेयर सोसायटी द्वारा प्रमाण पत्र और ट्रॉफी प्रदान की गई ,साथ ही लिखित में यह आश्वासन भी दिया गया कि आगामी 3 महीनों तक उन्हें रक्त की आवश्यकता पड़ने पर पूरे छत्तीसगढ़ में कहीं भी प्राथमिकता के साथ उन्हें रक्त उपलब्ध कराया जाएगा । जज्बा वर्तमान में उन 16 थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों की पूरी देखभाल कर रही है जिन्हें उन्होंने गोद लिया हुआ है। इसके अलावा अन्य 120 और ऐसे बच्चे हैं जो थैलेसीमिया पीड़ित हैं और जिन्हें संस्था द्वारा विगत 1 वर्ष से निशुल्क रक्त प्रदान किया जा रहा है। शनिवार के शिविर को सफल बनाने में संजय मतलानी ,विजय वाधवानी, विनय वर्मा ,मोहम्मद कलाम, आशुतोष रत्नाकर और राजा पांडे समेत तमाम वॉलिंटियर्स का योगदान रहा।