
बिलासपुर जिला अस्पताल में जिस तरह की लापरवाही सामने आई उस पर शासन स्तर पर कार्यवाही की जरूरत है
बिलासपुर प्रवीर भट्टाचार्य
बिलासपुर के सीने पर लगा नसबंदी कांड वह जख्म है जिस नासूर से रह रह टिस उठती है ।ज़ख्म सूखता नहीं कि उसे फिर कुरेद कर हरा कर दिया जाता है। लगता है जिला अस्पताल पिछली गलतीओ से कोई सबक लेने को तैयार नहीं। एक बार फिर जिला अस्पताल में ऐसा ही एक कारनामा उजागर हुआ, जिस वजह से अस्पताल में घंटों हंगामा मचा रहा ।जिला अस्पताल में नसबंदी कराने के लिए 6 महिलाओं को ग्राम निपानिया से लाया गया था । नसबंदी ऑपरेशन करने की पूरी तैयारी कर ली गई थी, यहां तक कि उन सभी को निश्चेतना का इंजेक्शन एनएसथीसिया देने वाले ने लगा दी थी। चिकित्सक ,सर्जन ऑपरेशन करने ही वाले थे कि तभी उन्हें बताया गया कि ऑपरेशन के दौरान लगने वाली आवश्यक वस्तुएं तो सिविल सर्जन डॉ एसएस भाटिया के पास ही है जो चाबी लेकर अपने घर जा चुके हैं ।सिर्फ सिविल सर्जन की लापरवाही की वजह से आनन फानन में यहां ऑपरेशन ना करने का निर्णय लिया गया और महिलाओं को बताया गया कि उनका ऑपरेशन फिर किसी दिन होगा। ग्राम निपानिया की 6 महिलाएं लंबे वक्त से नसबंदी का ऑपरेशन कराने के लिए भटक रही थी। जिन्हें कई बार मिलने के बाद सोमवार का वक्त दिया गया था। सोमवार को पूरी तैयारी के बाद अस्पताल पहुंची इन महिलाओं को ऑपरेशन टेबल से जिस तरह लौटाया गया उससे स्वाभाविक रूप से इनका आक्रोशित होना जायज था । सिविल सर्जन की गलती की वजह से इनके साथ हुई घटना का महिलाओं ने विरोध करते हुए जमकर हंगामा मचाया। महिलाओं का विरोध इस बात को लेकर था कि अगर ऑपरेशन नहीं करना था तो फिर उन्हें निश्चेतना का इंजेक्शन क्यों लगाया गया ।अगर इस वजह से उनको कोई बड़ा नुकसान होता तो फिर इसकी जिम्मेदारी कौन लेता ।
महिलाओं के हंगामा मचाने के बाद मौजूद चिकित्सक और मेडिकल स्टाफ भी अपनी गलती समझ कर सहमें नजर आए। वैसे देखा जाए तो इस घटना के पीछे अस्पताल के बाकी स्टाफ की इतनी बड़ी गलती नहीं है। अस्पताल में ऑपरेशन होना है और सिविल सर्जन बगैर किसी को बताए समय से पहले घर चले जाते हैं, उससे भी बड़ी हैरानी की बात यह है कि महिलाओं को ऑपरेशन टेबल से लौटाया जा सकता है लेकिन सिविल सर्जन लौटकर अस्पताल नहीं आ सकते या फिर कोई उनसे चाबी लाकर आवश्यक सामग्रियां सर्जन को उपलब्ध नहीं करा सकता । नसबंदी ऑपरेशन को सरकार प्रमोट कर रही है लेकिन अगर इसी तरह की कार्यप्रणाली रही तो फिर वह दिन दूर नहीं जब सरकारी अस्पतालों में नसबंदी कराने के नाम पर ही लोग भागने लगेंगे। सोमवार को बिलासपुर जिला अस्पताल में जिस तरह की लापरवाही सामने आई उस पर शासन स्तर पर कार्यवाही की जरूरत है, अन्यथा चिकित्सक इसी तरह मरीजों के साथ खिलवाड़ करते रहेंगे।