सत्याग्रह डेस्क
विवाहित महिलाओं को दहेज के नाम पर सहने वाले वाली प्रताड़ना से मुक्ति दिलाने दहेज प्रताड़ना अधिनियम बनाया गया था , लेकिन अधिकांश मामलों में इस कानून का जम कर दुरुपयोग हो रहा है। घरेलू विवाद और आपस की कहासुनी में भी ससुराल पक्ष को सबक सिखाने के लिए अक्सर महिलाएं इस कानून का दुरुपयोग करती है। खास बात यह है इस दौरान पीड़ित पक्ष में भी कोई महिला ही होती है । ऐसा ही एक मामला रतनपुर क्षेत्र में आया है। रतनपुर क्षेत्र के ग्रामीण अंचल सीस की एक महिला ने अपने भाइयों के साथ थाने पहुंचकर अपने पति, सास-ससुर के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज करा दिया लेकिन पूछताछ में बात कुछ और ही निकल कर सामने आई ।
कविता डिकसेना का विवाह प्रेम नारायण डिकसेना के साथ हुआ था। 9 वर्ष पूर्व हुए विवाह से दोनों को 7 वर्ष का एक बेटा भी है। सविता ने आरोप लगाया कि उसका पति प्रेम नारायण, ससुर केशवलाल और सास जसोदा बाई दहेज की मांग करते हुए उसके साथ मारपीट करती है ।इस मामले में अपराध पंजीबद्ध करते हुए रतनपुर पुलिस महिला के पति सास और ससुर को गिरफ्तार कर थाने ले आई, जहां पूछताछ में पता चला कि सविता के अलावा घर में एक और बहू भी है। दूसरी बहू दिन भर घर में काम करती है जबकि बड़ी बहू सविता कामकाज से जी चुराती है और अक्सर सोई रहती है । किसी बात पर दोनों बहू के बीच विवाद हो गया। इसी दौरान सविता का पति प्रेम नारायण भी घर पहुंच गया और पत्नी के स्वभाव से नाराज होकर उसने उसे दो थप्पड़ मार दिए। जिसके बाद नाराज सविता घर से चली गई और फिर उसने रतनपुर थाने पहुंचकर दहेज प्रताड़ना का झूठा मामला दर्ज करा दिया । कोर्ट में पेश किए जाने के बाद महिला के साथ ससुर को तो जमानत मिल गई मगर उसके पति को कोर्ट ने जेल भेज दिया है। दहेज प्रताड़ना अधिनियम की वजह से कई परिवार टूटने की कगार पर है। अगर महिला की सास के दावे सही है तो फिर मामूली से घरेलू विवाद को दहेज प्रताड़ना का रंग दिए जाने से जहां महिला का पति जेल चला गया वहीं जाहिर तौर पर दोनों के संबंधों में भी खटास आ गई है।