
निजी अस्पतालों में पेसमेकर की जांच के लिए कम से कम डेढ़ हजार रुपए की फीस ली जाती है, उस लिहाज से यहां बुजुर्ग मरीजों की निशुल्क सेवा की जा रही है,

बिलासपुर प्रवीर भट्टाचार्य
अनियमित हृदय गति मृत्यु की वजह बन सकती है, जिससे निपटने आधुनिक चिकित्सा विज्ञान पेसमेकर का सहारा लेता है। एक छोटी सी डिबिया में बंद कंप्यूटराइज्ड मशीन ह्रदय की गति को नियमित करती है। यह मशीन बैटरी द्वारा संचालित होती है और इसे शरीर में इनप्लांट करने के बाद भी बाहर से कंप्यूटर द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है ।मशीन लगाने के बाद भी कई तरह की दिक्कतें आ सकती है ,इसलिए समय-समय पर पेसमेकर की जांच भी अत्यंत आवश्यक है। आमतौर पर यह जांच 1 साल और 6 महीने के भीतर करनी होती है । रेलवे के भी कई कर्मचारियों को पेसमेकर लगा हुआ है इन मरीजों के लिए दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के केंद्रीय चिकित्सालय में पिछले 9 वर्षों से हर 6 महीने के अंतराल से निशुल्क पेसमेकर जांच शिविर का आयोजन किया जा रहा है

बिलासपुर केंद्रीय चिकित्सालय के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ सी के दास बताते हैं कि इस प्रकार के निशुल्क पेसमेकर जांच शिविर का आयोजन सबसे पहले बिलासपुर में ही हुआ था। शुक्रवार को रेलवे अस्पताल में आयोजित 18 वें शिविर में लाभ लेने कुल 144 मरीज पहुंचे, जिनमें से 93 मरीज रेलवे से संबंधित थे तो वहीं 51 गैर रेल कर्मियों ने भी इस शिविर का लाभ लिया। इस शिविर में 8 साल की बच्ची की भी जांच की गई तो वही 88 साल के बुजुर्ग के पेसमेकर की भी जांच शिविर में हुई। शिविर में बिलासपुर के अलावा खरसिया, मुंगेली,, रायपुर ,भिलाई, नागपुर ,नैनपुर ,शहडोल ,उमरिया और पेंड्रा से मरीज पहुंचे थे । शिविर में पांच ऐसे मरीज पाए गए जिनके पेसमेकर की बैटरी का जीवन समाप्त हो चुका था, वही पांच ऐसे भी मरीज मिले जिनके हृदय की धड़कन बहुत तेज थी। इन मरीजों को तत्काल उचित सलाह दी गई। जिनका बैटरी समाप्त हो चुका है उनका फिर ऑपरेशन करना होगा।

रेलवे के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सी के दास ने बताया कि मौजूदा दौर में हृदय रोग की बढ़ती प्रवृत्ति को देखते हुए रेलवे इस तरह का आयोजन कर रहा है ,क्योंकि जिन मरीजों को पेसमेकर लगा है उनकी नियमित जांच जरूरी है । पेसमेकर के यकायक बंद होने से मरीज की मृत्यु भी हो सकती है। यह शिविर पेसमेकर के मरीजों के लिए वरदान साबित हो रहा है क्योंकि यहां मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ सी के दास मानते हैं कि फिलहाल इस शिविर का पर्याप्त प्रचार-प्रसार ना होने से और भी मरीज इसका लाभ नहीं ले पा रहे, इसलिए जरूरी है कि इसका प्रचार प्रसार व्यापक रूप से हो, साथ ही भारत के दूसरे प्रांतों में भी इसी तरह के अन्य शिविर आयोजित किए जाने की भी वे वकालत करते है। वैसे इस शिविर में जहां अस्पताल और चिकित्सकों की महत्वपूर्ण भूमिका है वहीं पेसमेकर कंपनियों का सहयोग भी अत्यंत महत्वपूर्ण है ।शुक्रवार को बिलासपुर में आयोजित निशुल्क पेसमेकर शिविर में पेसमेकर कंपनियों जैसे सेंटजूड मेट्रानिक, बोस्टन, बायोट्रॉनिक पेसमेकर कंपनियो ने सहयोग किया और अपने सर्विस इंजीनियरों को पेसमेकर प्रोग्रामर के साथ यहां भेजा, जिन के सहयोग से ही शिविर का सफल संचालन संभव हो पाया। निजी अस्पतालों में पेसमेकर की जांच के लिए कम से कम डेढ़ हजार रुपए की फीस ली जाती है, उस लिहाज से यहां बुजुर्ग मरीजों की निशुल्क सेवा की जा रही है, इसलिए पेसमेकर शिविर का लाभ लेने वालों के चेहरे पर सुकून और खुशी नजर आई । बिलासपुर रेलवे अस्पताल में हर 6 महीने के अंतराल से इस शिविर का आयोजन किया जा रहा है यानी अब 6 महीने बाद फिर से इसी तरह के शिविर का आयोजन यहां किया जाएगा।
