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लाल खदान ओवर ब्रिज बनकर पड़ा है बेकार, लोग अब भी फाटक पर कर रहे घंटों इंतजार

उदय सिंह

वाह रे हमारे योजनाकार और वाह री उनकी नीतियां ! हमारे कर्ता-धर्ताओं के पास लोगों की सुविधा के लिए जरा सा भी वक्त नहीं है। योजनाकारो की अदूरदर्शिता का अगर जीता जागता उदाहरण देखना है तो फिर चले आइए बिलासपुर के लाल खदान रेलवे फाटक पर। यहां राष्ट्रीय राजमार्ग पर रेलवे क्रॉसिंग होने की वजह से वाहनों की हमेशा से लंबी कतार लगती रही है। जिसे देखते हुए लोगों ने यहां रेलवे ओवरब्रिज की मांग की थी। बरसो की मांग के बाद उनकी मांग पूरी हुई और 2 फरवरी 2013 से यहां काम शुरू हुआ। वैसे तो इस काम को 20 महीने में हीं पूरा हो जाना था लेकिन कछुआ चाल से इस पुल को बनते बनते पूरे 6 साल लग गये। इतना ही नहीं 20 करोड़ में जो पुल बनना था उसकी लागत 12 करोड़ बढ़ गई और रेलवे ओवरब्रिज 32 करोड़ में जाकर पूरा हुआ। महीने भर से अधिक का वक्त हो चुका है इस पुल को बने हुए लेकिन हमारे नेताओं के पास इतना भी वक्त नहीं है कि वे इस पुल का लोकार्पण कर सके।

इसीलिए पुल के बन जाने के बाद भी, अब भी लोग पहले की ही तरह रेलवे फाटक से जंग लड़ रहे हैं। व्यस्त मार्ग होने की वजह से यहां वाहनों की कतार दोनों और लगती है। वही यह रेलवे का भी व्यस्त मार्ग है। लिहाजा थोड़ी थोड़ी देर में यहां से ट्रेन गुजरती है और फाटक बंद कर दिया जाता है ।लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि रेलवे ओवर ब्रिज बन जाने के बावजूद क्यों अभी भी रेलवे फाटक से ही उन्हें गुजारना पड़ रहा है।

दरअसल महीने भर पहले पुल के बन जाने के बाद आम लोगों की आवाजाही के लिए इसे खोल भी दिया गया था और उस वक्त ऐलान किया गया था कि 15 जून से हमेशा के लिए रेलवे फाटक को बंद कर दिया जाएगा, लेकिन ठीक 1 दिन पहले अचानक रेलवे फाटक बंद करने की जगह पीडब्ल्यूडी विभाग ने पुल पर ही आवाजाही बंद करवा दी। जिस जनता के लिए पुल का निर्माण हुआ है उसी जनता का पुल से गुजरना सरकारी विभाग को रास नहीं आया। इसीलिए पुल के दोनों छोर पर मलबा और बैरिकेट्स के जरिए प्रवेश बंद करा दिया गया। पूल बंद हो जाने से मजबूरी में एक बार फिर लोग रेलवे फाटक से ही आना जाना कर रहे हैं।

यहां छोटे वाहनों के लिए बाईपास भी है, लेकिन बारिश के इस मौसम में उसकी हालत बेहद खराब है। कुछ दिन पहले मोटरसाइकिल पर पति-पत्नी और बच्चा जा रहे थे कि इस मार्ग पर दुर्घटना होने से तीनों घायल हो गए और बच्चे की तो हाथ की हड्डी तक टूट गई ।कच्चा मार्ग होने से इसमें जगह-जगह गड्ढे बन चुके हैं और वहां से गुजरना मुमकिन नहीं। लिहाजा लोग अभी भी 10 से 20 मिनट तक रेलवे फाटक पर बेवजह इंतजार कर रहे हैं ।जब भी रेलवे फाटक खुलता है उस वक्त भी यहां यातायात का सिग्नल ग्रीन होने की बजाय रेड ही रहता है । दूर खड़े ट्रक चालकों को यह लगता है कि रेड सिगनल की वजह से फाटक का बैरियर गिरने वाला है, इसलिए वे तेज गति से फाटक पार करने की कोशिश करते हैं और इसी कोशिश की वजह से यहां हर दिन दुर्घटना हो रही है। जबकि इस सब को रोका जा सकता था। आम लोगों की समझ में यह बात नहीं आ रही कि पुल बन जाने के बावजूद उन्हें पुल से जाने क्यों नहीं दिया जा रहा।

क्या फुल इतना कमजोर बना है कि लोगों के आने जाने से उद्घाटन से पहले ही उसके टूट कर गिर जाने की आशंका पीडब्ल्यूडी के सेतु विभाग को सता रही है ? या फिर मंत्रालय से उन्हें ऐसा करने का आदेश मिला है ? क्षेत्र के भाजपा नेता और अनुसूचित जाति मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष चंद्रप्रकाश सूर्या इस व्यवस्था से बेहद नाराज नजर आ रहे हैं और उन्होंने मुख्यमंत्री और प्रदेश सरकार को जनविरोधी बताते हुए कहा कि उन्हें जन भावनाओं से कोई सरोकार नहीं है। मुख्यमंत्री के पास निजी अस्पतालों के उद्घाटन के लिए तो वक्त ही वक्त है लेकिन आम लोगों की जरूरत के रेलवे ओवर ब्रिज के लोकार्पण के लिए उनके पास समय नहीं है।

रेलवे ओवर ब्रिज का इंतजार यहां के लोग वर्षों से कर रहे हैं। 6 साल पहले जब पुल बनना शुरू हुआ तो उम्मीदें आसमान तक पहुंच गई थी लेकिन अब रेलवे ओवरब्रिज बन जाने के बावजूद जब उन्हें इस पर से आने जाने नहीं दिया जा रहा तो उनकी उम्मीदें दम तोड़ रही है । उन्हें ऐसा लग रहा है कि रेलवे ओवरब्रिज के नाम पर यहां 32 करोड़ में सफेद हाथी खड़ा किया गया है। जिसका उपयोग आम लोगों को करने से रोका जा रहा है ।

पता नहीं सरकार और पीडब्ल्यूडी विभाग की क्या मंशा है ? क्योंकि यहां रहने वाले लोगों को ना तो यह बताया जा रहा है कि पुल का उद्घाटन कब होगा और ना ही यहां यह बताने वाला कोई है कि पुल से आवाजाही क्यों रोक दी गई है । लाल खदान ओवरब्रिज के बन जाने के बावजूद लोगों को पहले की ही तरह फाटक पर घंटों इंतजार और दिक्कतों का सामना भी करना पड़ रहा है। लोग कह रहे हैं कि अगर यही सब करना था तो फिर इस ओवरब्रिज को बनाने की क्या जरूरत थी। ओवर ब्रिज से आने-जाने नहीं देने पर लोगों का आक्रोश दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है और फिलहाल कोई नहीं जानता कि इस पुल का औपचारिक उद्घाटन कब होगा, कौन करेगा। यह कार्यक्रम तय न होने की ही वजह से आम लोगों को यूं मुसीबत में डाला जा रहा है और इस तरह विपक्ष को भी एक मुद्दा मिल चुका है। इसलिए क्षेत्र के भाजपा नेता चंद्रप्रकाश सूर्या जल्द ही इस मामले में कलेक्टर को ज्ञापन देकर उन्हें जन भावनाओं से परिचित कराने की बात कह रहे हैं। वही नागरिक भी किसी बड़े आंदोलन की योजना बनाते देखे जा रहे हैं। क्षेत्र में सक्रिय कांग्रेस के नेता और मुख्यमंत्री के करीबी अभय नारायण राय वैसे तो हर मामले में मुखर रहते हैं लेकिन पता नहीं इस मामले में उन्होंने भी क्यों चुप्पी साध रखी है । यह बात भी यहां के नागरिक बातचीत के दौरान कह रहे हैं।

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