
उदय सिंह
मस्तूरी- क्षेत्र में यूं तो कई लाइम स्टोन के खदान संचालित है, जहाँ एक बार लीज लेने के बाद कोई भी नियमों का पालन नही कर रहा, हालांकि हर बार पर्यावरण मंडल और माइनिंग विभाग द्वारा कागजों में प्रकिया पूर्ण की कर ली जाती है,
लेकिन धरातल पर सच्चाई कुछ और होती है, शासन को चूना लगाने ऐसा दिखावा किया जाता है कि निर्धारित लीज खदान में ही पत्थरों की खुदाई हो रही है,
लेकिन इस दिखावे के पीछे शासकीय जमीन का बेजा इस्तेमाल किया जा रहा है। क्षेत्र के एक ऐसे ही क्रेशर और चूना पत्थर खदान की शिकायत ग्रामीणों ने की है जो जयरामनगर खैरा के पास संचालित है, ग्रामीणों ने बताया कि लंबे समय से यह पत्थर खदान संचालित है, जो नियमों को ताक पर रख संचालित किया जा रहा है।
पत्थर खदान के संचालक कपिलेन्द्र शर्मा द्वारा नियमों की धज्जियाँ उड़ाई जा रही है, शासकीय जमीन पर कब्जा किया गया है वही लीज की जमीन के अलावा उस शासकीय जमीन का भी दुरुपयोग किया जा रहा है।
ब्लास्टिंग से सबसे ज्यादा परेशानी….
शर्मा स्टोन क्रेशर प्लांट में पत्थरों की खुदाई के लिए प्रतिबंध ब्लास्टिंग प्रणाली का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे इंसानी बसाहट के पास नही किया जा सकता, ब्लास्टिंग की वजह से ग्रामीणों के मकानों में दरारें पड़ चुकी है, वहीँ उसके झटके से उन्हें कई तरह की परेशानियां हो रही है।
ग्रामीणों ने इस समस्या को लेकर कई बार संबंधित विभागों में शिकायत भी की है, इसके बावजूद कोई भी जिम्मेदार अधिकारी यहां क्रेशर संचालक की मनमानी को रोकने नही आता।
विभाग ने हाथ किये खड़े….
स्थानीय खनिज विभाग को क्षेत्र में संचालित सभी खदानों की स्थिति की बारीकी से जानकारी है, बावजूद इन रहनुमाओं पर कोई कार्रवाई नही होती, शायद राजस्व की हानि को इसका कारण माना जाता है,
लेकिन ऐसे आस्तीन के साँप तो शासन को ही चूना लगा रहे है, इनकी चिंता क्यों….जांच और कार्रवाई इन पर क्यो नही की जाती यह बड़ा सवाल ग्रामीणों के जेहन में है।