
उदय सिंह
बिलासपुर – जिले के मस्तूरी विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत जैतपुरी-सेमराडीह में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। ग्रामीणों ने कलेक्टर बिलासपुर को एक लिखित शिकायत सौंपते हुए आरोप लगाया है कि सरपंच और रोजगार सहायक की मिलीभगत से करीब 100 मजदूरों की फर्जी उपस्थिति दर्ज कर शासकीय धन का दुरुपयोग किया गया है। ग्रामीणों के अनुसार, उक्त कार्य स्थल पर जिन व्यक्तियों की उपस्थिति दर्ज की गई, वे वहां कार्यरत ही नहीं थे। उनमें से कई मजदूर उस समय गांव में मौजूद भी नहीं थे बल्कि अन्य जिलों में पलायन कर चुके थे। इसके बावजूद उनके नाम से हाजिरी लगाकर भुगतान किया गया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि योजनागत प्रक्रिया का खुला उल्लंघन किया गया है।
शिकायत में यह भी बताया गया कि रोजगार सहायक के पति और पिता ग्राम पंचायत के प्रशासनिक कार्यों में अनधिकृत रूप से हस्तक्षेप करते हैं और यही नहीं, ग्रामीणों द्वारा जब इन अनियमितताओं पर सवाल उठाया गया तो रोजगार सहायक द्वारा कथित रूप से यह कहा गया कि “ऊपर के अधिकारियों व इंजीनियरों को कमीशन देना पड़ता है।” यह बयान भ्रष्टाचार को खुली चुनौती जैसा प्रतीत होता है। ग्रामीणों का आरोप है कि इन गतिविधियों की जानकारी सरपंच को पहले से है, बावजूद इसके न तो कोई जांच की गई और न ही किसी प्रकार की कार्यवाही की गई। इससे यह संदेह गहराता है कि सरपंच की भूमिका भी संदिग्ध है और भ्रष्टाचार की इस श्रृंखला में वे भी शामिल हो सकते हैं। इस गंभीर मामले को लेकर ग्रामीणों ने कलेक्टर से अपील की है कि इसकी उच्चस्तरीय जांच कराई जाए और दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए, जिससे न केवल शासकीय धन की हानि रोकी जा सके बल्कि जरूरतमंदों को ही मनरेगा का लाभ मिल सके। फिलहाल ग्रामीणों को उम्मीद है कि कलेक्टर स्तर से जल्द कार्रवाई होगी और दोषियों को सजा मिलेगी।