मस्तूरी

मस्तूरी:- राशि स्टील एंड पावर लिमिटेड की मनमानी से त्रस्त ग्रामीण…जिला कलेक्टर से की शिकायत,

उदय सिंह

बिलासपुर – मस्तूरी विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पाराघाट में संचालित राशि स्टील एंड पावर लिमिटेड की मनमानी और नियमों की अनदेखी से ग्रामीणों का सब्र अब जवाब देने लगा है। मंगलवार को क्षेत्र के कई गांवों से पहुंचे जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने जिला कलेक्टर से मुलाकात कर अपनी समस्याओं से अवगत कराया। उन्होंने आरोप लगाया कि कंपनी न केवल पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन कर रही है, बल्कि ग्रामीणों और श्रमिकों के हितों की भी अनदेखी कर रही है।

ग्रामीणों ने बताया कि प्लांट से निकलने वाला जहरीला धुआं आसपास के गांवों की हवा को प्रदूषित कर रहा है। यही नहीं, कंपनी द्वारा लीलागर नदी में सीधे विषैला पानी छोड़े जाने से नदी और तालाब का जल पूरी तरह दूषित हो चुका है। स्थिति यह है कि तालाबों का पानी अब घरेलू उपयोग के लायक नहीं बचा। ग्रामीणों ने कहा कि इससे न सिर्फ इंसानों की सेहत पर असर पड़ रहा है, बल्कि मवेशियों और खेती पर भी गंभीर खतरा मंडरा रहा है।जनप्रतिनिधियों ने यह भी आरोप लगाया कि राशि स्टील एंड पावर लिमिटेड ने औद्योगिक सामाजिक जिम्मेदारी (CSR) के तहत कोई काम नहीं किया है। कंपनी प्रबंधन ने न तो गांवों की सड़कों की सुध ली और न ही शिक्षा-स्वास्थ्य जैसे बुनियादी क्षेत्रों में कोई योगदान दिया। भारी वाहनों की लगातार आवाजाही से सड़कों की हालत बेहद जर्जर हो चुकी है,

जिससे ग्रामीणों को आवागमन में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कंपनी प्रबंधन पर अवैध गतिविधियों के आरोप भी लगाए गए। ग्रामीणों का कहना है कि प्लांट के लिए अवैध रूप से कोयले का भंडारण किया जा रहा है और नियमों की अनदेखी करते हुए कोलवाशरी चलाई जा रही है। इससे क्षेत्र की हवा और पानी लगातार प्रदूषित हो रहा है और आम लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। ग्रामीणों ने श्रमिकों के शोषण का मुद्दा भी कलेक्टर के सामने उठाया। उनका कहना है कि बाहरी ठेकेदारों के माध्यम से श्रमिकों को बेहद कम मजदूरी दी जा रही है। इतना ही नहीं, पीएफ के नाम पर 24 प्रतिशत राशि सीधे श्रमिकों के बैंक खाते से काटी जा रही है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पर गहरा असर पड़ रहा है।

ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि उपरोक्त समस्याओं पर तुरंत कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि यदि कंपनी प्रबंधन और जिला प्रशासन ने उनकी समस्याओं को गंभीरता से नहीं लिया तो वे उग्र आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे। इस दौरान उपस्थित ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने साफ कहा कि उनका आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक कंपनी प्रबंधन गांवों के विकास, श्रमिकों के अधिकारों और पर्यावरण संरक्षण को लेकर ठोस कदम नहीं उठाता। कलेक्टर से हुई मुलाकात के बाद ग्रामीणों ने उम्मीद जताई है कि प्रशासन इस गंभीर मामले पर शीघ्र कार्रवाई करेगा।

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