प्रवीर भट्टाचार्य
हिंदू परंपराओं में 16 संस्कार महत्वपूर्ण माने जाते हैं जिनमें अंतिम संस्कार बेहद खास होता है। धार्मिक मान्यता है कि अंतिम संस्कार से ही आत्मा को मोक्ष और मुक्ति प्राप्त होती है लेकिन इन धार्मिक बंधनों से मुक्त होकर आम इंसान देहदान का साहस नहीं जुटा पाता ।इसी वजह से मेडिकल स्टूडेंट को मेडिकल कॉलेज में मानवीय देह की कमी महसूस होती है। खासकर एनाटॉमी विभाग के स्टूडेंट की शिक्षा के लिए इंसानी शरीर की अति आवश्यकता होती है लेकिन बेहद कम लोग देहदान करते हैं। मगर इस गुरुवार को सारी वर्जनाओं को तोड़ते भट्टाचार्य परिवार ने अनोखी मिसाल कायम करते हुए अपनी स्वर्गीय माता जी के संकल्प को पूरा किया। गुरुवार दोपहर को हेमू नगर तहसीलदार गली में रहने वाली 62 वर्षीय माया भट्टाचार्य की बीमारी के बाद मौत हो गई। जिसके बाद उनके पति के पी भट्टाचार्य और पुत्र अमित भट्टाचार्य ने अपने कलेजे पर पत्थर रखते हुए माया भट्टाचार्य के पुराने संकल्प को पूरा किया।
स्वर्गीय माया भट्टाचार्य की दिली इच्छा थी कि उनकी मृत्यु उपरांत उनके देह का दान मेडिकल कॉलेज को कर दिया जाए और उनके इस संकल्प को पूरा करते हुए उनके पुत्र अमित भट्टाचार्य ने गुरुवार दोपहर को सिम्स पहुंचकर अपनी माताजी के देह का दान किया। इस तरह भट्टाचार्य परिवार ने मेडिकल साइंस की दुनिया को एक अनमोल तोहफा अपनी ओर से दिया है। उनके इस त्याग से सैकड़ों मेडिकल स्टूडेंट को लाभ होगा, जिसका लाभ हजारों लाखों मरीजों को हासिल हो पाएगा। सिम्स प्रबंधन ने भी भट्टाचार्य परिवार के इस त्याग की मुक्त कंठ से सराहना की है और अन्य लोगों से भी इससे प्रेरित होने की अपील की है।