विपुल शर्मा
हमारे बच्चे की साइकिल बहुत छोटी थी हमने उसे बनने दिया था उसमे सीट और चेन पैडल लगवाए थे बच्चे ने नई साइकिल दिलाने को कहा वो साइकिल मेरे लिए छोटी हो जाती है उसे हमने नई साइकिल दिलाई उन दोनों साइकिल को रिक्शे में घर लाना था हमने रिक्शा किया । रिक्शे वाला भाई बार बार साइकिल दुकान में सभी साइकिल को देख रहा था उसके मन मे अपने बच्चे को साइकिल दिलाने की झलक उसकी आँखों मे हमने देख ली थी ।।
हमने रिक्शा वाले भाई से पूछा कितने साल का आपका बच्चा है उसने बताया 6 साल का है । हमने पूछा – उसके पास साइकिल है उसने कहा- नही है ।
हम घर पहुँच गए उसने दोनों साइकिल उतार दी रिक्शे से हमने कहा भाई एक साइकिल बस है वो छोटी वाली साइकिल आपकी है ।। उसकी आँखों मे आँसू झलक गए उसने मेरे बच्चे को बहुत प्यार किया और बहुत खुशी से आशिर्वाद दिया । दिलहरण भाई खुशी खुशी वो साइकिल ले गए ।।
किसी को खुश देखकर जो खुशी मिलती है वो अद्वतीय होती है उस ख़ुशी से मन मे शान्ति मिलती है । इसलिए आप सभी से निवेदन है हम खुशिया बाटे ।। आपकी कोई भी चीज जो आपके पास रखाई हुई है और जिसे आप यूज नही करते वो किसी को दे उसके परिवार में खुशियां आ जायेगी
चलिए आज ही एक संकल्प लेते है अपनी खुशियो के साथ दूसरे किसी के घर मे भी खुशियां लायेगे ।।
आइये खुशियां बाटे ।।