प्रवीर भट्टाचार्य
फिल्में भले ही अभिव्यक्ति का माध्यम हो और भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हो, लेकिन अक्सर इस स्वतंत्रता का अतिक्रमण करने पर विवाद की स्थिति पैदा होती रही है। इससे पहले भी फिल्मों को लेकर हंगामा मचा है और इस बार ब्राह्मण समाज ने नई फिल्म आर्टिकल 15 पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने की मांग की है। निर्देशक अनुभव सिन्हा की यह फिल्म उत्तर प्रदेश बदायूं में दलित बहनों की हत्या की दर्दनाक घटना से प्रेरित है, लेकिन उस कहानी में लिबर्टी लेते हुए लेखक अनुभव सिंहा और गौरव सोलंकी ने फिल्म में कई और रंग मिला दिए हैं । वैसे भी अनुभव सिन्हा की छवि वामपंथी और हिंदुत्व विरोधी की रही है। लिहाजा सर्व ब्राह्मण समाज ने आरोप लगाया है कि इस फिल्म में ब्राह्मण समाज को बेवजह घसीटते हुए बेहद अपमानजनक ढंग से उन्हें प्रस्तुत किया गया है ।
फिल्म के संवाद भी ब्राह्मणों की छवि खराब कर रहे हैं। वहीं ब्राह्मणों के लिए बेहद अपमानजनक बातें फिल्म में कहीं, दर्शाई गई है। आयुष्मान खुराना, सयानी गुप्ता ,इशा तलवार, मोहम्मद जीशान जैसे कलाकारों से सजी यह फिल्म जाति और वर्ग भेद पर आधारित है। जिसे एक आईएएस अफसर की निगाह से समझाने का प्रयास किया गया है। फिल्म में ब्राह्मण समाज को खलनायक की तरह प्रस्तुत किए जाने से सर्व ब्राह्मण समाज बेहद आक्रोशित है और उन्होंने बिलासपुर में भी कलेक्टर और एसपी को ज्ञापन देकर इस फिल्म का प्रदर्शन रोकने की मांग की है। बिलासपुर में फिल्म का प्रदर्शन होने पर सर्व ब्राह्मण समाज ने उग्र आंदोलन की चेतावनी भी दी है। हालांकि इस फिल्म को क्रिटिक्स 4 स्टार रेटिंग दे रहे हैं और फिल्म की जमकर तारीफ भी की जा रही है। फिल्म में बदायूं की घटना में बाहुबली के रूप में ब्राह्मण समाज को दर्शाए जाने से सभी ब्राह्मण आहत है। ब्राह्मणों के साथ समाज के अन्य वर्गों ने भी फिल्म का विरोध किया है ।
हालांकि अब तक यही देखा गया है कि जिस भी फिल्म का विरोध किया गया, उसे, अंततः इसका लाभ ही मिला है। कई बार इसे मार्केटिंग स्ट्रेटजी के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है। मुमकिन है लो बजट फिल्म आर्टिकल 15 को भी ब्राह्मण समाज के विरोध का लाभ मिल जाए, लेकिन यह भी जरूरी है कि फिल्म बनाने के दौरान निर्माता-निर्देशक को इस बात का भी ख्याल रखना चाहिए कि उनकी फिल्म किसी एक वर्ग को निशाना ना बनाये अन्यथा ऐसे ही उम्मीद के विपरीत परिणाम सामने आएंगे। शायद यही कारण है कि ब्राह्मण समाज सेंसर बोर्ड की भूमिका पर भी सवाल उठा रहा है। जिसके द्वारा मुस्लिम समाज के खिलाफ किसी तरह की टिप्पणी या संवाद को कभी पास नहीं किया जाता लेकिन ब्राह्मण समाज या स्वर्ण समाज के खिलाफ कही गई बातों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का नाम देकर हरी झंडी दिखा दी जाती है। सेंसर बोर्ड की कार्यशैली पर अफसोस जताते हुए सर्व ब्राह्मण समाज ने स्पष्ट कहा है कि अगर बिलासपुर में फिल्म का प्रदर्शन होता है तो फिर उनके द्वारा उग्र प्रदर्शन कर फिल्म की स्क्रीनिंग रुकवाई जाएगी । कुल मिलाकर आर्टिकल 15 के प्रदर्शन पर ग्रहण लगता दिखाई दे रहा है।