
प्रदेश भर में करीब 128 दाल भात केंद्र संचालित हो रहे हैं, जिन के अस्तित्व पर सवालिया निशान लग चुका है
बिलासपुर प्रवीर भट्टाचार्य
राज्य में भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल में गरीब, कमजोर वर्ग को ध्यान में रखकर अन्नपूर्णा दाल भात केंद्र की स्थापना की गई थी, जिसमें मात्र 5 रुपये में भोजन उपलब्ध कराया जा रहा था। पिछले 15 सालों तक यह योजना निरंतर चलती रही लेकिन अब इस पर संकट के बादल गहराने लगे हैं। शुरुआती दौर में जगह जगह बड़ी संख्या में अन्नपूर्णा दाल भात सेंटर खोलें गए थे। कई स्थानों पर इसका सफल संचालन संभव नहीं हो पाया। तमिलनाडु में जिस तरह अम्मा कैंटीन ने सफलता के झंडे गाड़े हैं वैसा कुछ कभी भी अन्नपूर्णा सेंटर के साथ नहीं हो पाया, लेकिन फिर भी 5 रुपये की मामूली कीमत में गरीबों को इस माध्यम से भोजन उपलब्ध कराया जा रहा था। बिलासपुर में भी कलेक्ट्रेट और सिम्स में इस तरह के केंद्र संचालित हो रहे थे, लेकिन खाद्य संचालनालय के डायरेक्टर ने यह बता दिया है कि वर्ष 2019 में चावल का आवंटन केवल शासकीय संस्था को ही किया जाएगा। इस सूची में दाल भात केंद्र के ना आने से उनका आवंटन 1 अप्रैल से बंद हो जाएगा। अगर इस सूरत में राज्य सरकार,दाल भात केंद्रों की मदद नहीं करती है तो अन्नपूर्णा केंद्रों का संचालन का खर्च 4 गुना बढ़ सकता है, इसलिए आशंका जाहिर की जा रही है कि 1 अप्रैल से यह सभी केंद्र बंद हो जाएंगे। केंद्र की योजना से राज्य भर करीब 15 हजार से ज्यादा लोग प्रतिदिन इसका लाभ लेते हैं। भले ही शुरुआती दौड़ में 5 रुपये में भोजन उपलब्ध कराया जा रहा था, लेकिन मौजूदा समय में इसके लिए 10 ,15 और 20 रुपये भी लिए जाते हैं। इधर इस महत्त्वकांक्षी योजना दाल भात केंद्र के बंद होने की खबर से गरीब वर्ग खासा नाराज है। प्रदेश भर में करीब 128 दाल भात केंद्र संचालित हो रहे हैं, जिन के अस्तित्व पर सवालिया निशान लग चुका है। वर्तमान में 10 रुपये की मामूली कीमत पर ही सही पेट भर खाना तो मिल रहा था, क्योंकि अब भी ऐसे लोगों की संख्या कम नहीं है जिनकी क्षमता होटल से भोजन खरीदने की नहीं है ।कांग्रेस की सरकार ने खाद्य सुरक्षा कानून बनाया था ।अब देखना होगा कि राज्य में कांग्रेस की सरकार होने के बाद वह किस तरह अन्नपूर्णा दाल भात केंद्रों को बंद होने से रोकती है ।जाहिर है इससे राज्य सरकार पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।लेकिन सर्वहारा वर्ग के लिए इतना करना भी सरकार की जिम्मेदारी है।