
आकाश
रतनपुर में मौजूद प्राचीन और ऐतिहासिक वृद्धेश्वर महादेव के दर्शन और पूजन के लिए सावन के पहले सोमवार को भक्त उमड़ पड़े। राजा वृद्ध सेन द्वारा स्थापित यह शिवलिंग स्वयंभू मानी जाती है ।आदि अनादि काल से बांस के जंगलों में मौजूद शिवलिंग के आसपास मंदिर का निर्माण स्वप्न आदेश से राजा ने किया था ।
तब से यहां हर सावन मास में विशेष पूजा आराधना की जाती है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि शिवलिंग पर अर्पित जल अपने आप विलुप्त हो जाता है। कितना भी जल शिवलिंग पर चढ़ा दे, जल कभी आवरण से बाहर नहीं आता। शिवलिंग का आंतरिक संपर्क मंदिर के बाहर मौजूद कुंड से है।
सावन के प्रथम सोमवार के मौके पर भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए रतनपुर के शिवालयों में प्रातः से ही श्रद्धालुओं का तांता लग गया। नगर के साथ आसपास के ग्रामीण अंचल के लोगों ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उन्हें अत्यंत प्रिय भांग-धतूरा,जल,वेल्वपत्र चढ़ाकर भगवान शिव से अपने परिवार के लिए सुख शांति समृद्धि का आशीर्वाद मांगा है । वही भोलेनाथ की भक्ति का यह नजारा नगर के हर शिवालय में देखने को मिला।
उपवास रखने वाले व्रत धारियो ने शिवलिंग पर जल भी चढ़ाया। मंदिर के पुजारी की अगुवाई में हुई आरती के बाद घंटनाद के बीच शिव के जयकारे लगे। इसके बाद भक्तों ने जल चढ़ाकर भगवान भोलेनाथ से सुख-समृद्धि व शांति की कामना की। सावन के पहले सोमवार के दिन भगवान भोले नाथ के भक्तजनों की भीड़ नजर आई। शिवभक्त भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए महामृत्युंजय मंदिर, बूढ़ा महादेव मंदिर, कंठी देवल मंदिर, बैरागवन मंदिर, दुलहरा तालाब मंदिर, रत्नेश्वर मंदिर में पूजा अर्चना शिव दर्शन के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे ।