
आकाश दत्त मिश्रा
मुंगेली में राजस्व और वन विभाग के बीच तालमेल न होने के बेहद खतरनाक नतीजे सामने आ रहे हैं और इस वजह से लकड़ी तस्करों की चांदी हो रही है। दरअसल यहां क्षेत्र में लगातार लकड़ियों की अवैध कटाई और परिवहन किया जा रहा है। वन विभाग की खुली छूट की वजह से ग्रामीण बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई कर रहे हैं और जब जब राजस्व विभाग इन पर कार्यवाही करता है तो वन विभाग के पास इतना वक्त भी नहीं रहता कि वह जप्त लकड़ियों को अपने कब्जे में ले।
लगातार ऐसे कई मामले सामने आए हैं। हाल ही में आवास पारा देवरी में सरपंच से ही 9 क्विंटल अवैध बबूल , 7 क्विंटल नीम, 1 क्विटल कैथ और 1 क्विंटल अन्य लकड़ी बरामद की गई ।इसी तरह अशोक सोनवानी के पास से भी करीब 2 क्विंटल अवैध बबूल कार्यवाही में जप्त हुई। संजय के पास से 6 क्विंटल लकड़ी जप्त गई और इसके परिवहन के लिए प्रयुक्त वाहन को भी राजसात किया गया। ऐसे न जाने कितने और भी मामले हैं जहां लाखों रुपए की लकड़ियां जप्त की गई और अग्रिम कार्यवाही के लिए वन विभाग के सुपुर्द कर दिया गया लेकिन वन विभाग के पास इतना वक्त भी नहीं है कि वह उन लकड़ियों को अपने कब्जे में ले। गांव में ही जप्त लकड़ी के पड़े रहने के चलते लोग धीरे-धीरे लकड़ियों को अपने साथ ले गए और यहां महंगी बेशकीमती लकड़िया धीरे-धीरे गायब हो रही है।
लगातार नायब तहसीलदार रिचा सिंह अपनी टीम के साथ कार्यवाही कर रही है लेकिन उनकी कार्यवाही के सुखद परिणाम नहीं आ रहे। हाल ही में सेतगंगा निवासी भाजपा मंडल उपाध्यक्ष नारायण शर्मा के पास से भी करीब 5 लाख रुपए कीमत की बबूल की लकड़ी जप्त की गई थी। इस कार्यवाही को 1 महीने हो गए लेकिन वन विभाग ने अभी भी जप्त लकड़ी को उठाना भी जरूरी नहीं समझा, जिसके चलते आराम से लकड़ी चोर लकड़ियों को गायब कर पाए। राजस्व विभाग और वन विभाग के बीच तालमेल न होने का खामियाजा शासन को भुगतना पड़ रहा है। वहीं लकड़ी तस्करों की चांदी हो रही है। आरोप लगाया जाता है कि लकड़ी तस्करों और वन विभाग के अधिकारियों के बीच सांठगांठ होने की वजह से ही उन्हें ऐसी खुली छूट दी जा रही है। वही पूछने पर वन अधिकारी मामले में पूरी तरह अनभिज्ञता जताते हैं। अगर ऐसे ही हालात रहे तो फिर जंगलों में लकड़ियों की अवैध कटाई पर रोक मुमकिन नहीं हो पाएगा। लिहाजा इस दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है।