
डेस्क

बारिश के इस मौसम में लगातार जर्जर स्कूल भवन धराशाई हो रहे हैं और इसी के साथ शिक्षा विभाग के दावों की पोल खुल रही है । हाल ही में रतनपुर और बिलासपुर मंगला में ऐसे ही हादसों के बाद भी जिला शिक्षा अधिकारी की नींद नहीं टूटी है। मंगलवार शाम को बिलासपुर के करीब स्थित निरतु में माध्यमिक शाला भवन के दो कमरे भरभरा कर गिर पड़े। यह तो किस्मत अच्छी थी कि जिस वक्त हादसा हुआ उस वक्त कक्षाएं नहीं चल रही थी ।नहीं तो फिर दुर्घटना इतनी बड़ी होती कि शिक्षा विभाग के लिए मुंह छुपाना मुश्किल हो जाता । हैरानी इस बात की है कि इन्ही जर्जर कमरों में स्कूल की कक्षाएं लगती थी। निरतु के इस स्कूल में 300 से अधिक बच्चे पढ़ाई करते हैं। प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल की कक्षाएं सुबह की पाली में लगती है ।जाहिर है कि अगर उस वक्त यह सब हुआ होता तो फिर हादसा बहुत बड़ा होता। स्कूल के शिक्षकों का दावा है कि उन्होंने कमरों की मरम्मत के लिए कई बार जिला शिक्षा अधिकारी और अन्य अधिकारियों को पत्र लिखा था, लेकिन विभाग ने इस ओर ध्यान ही नहीं दिया। यह भी जानकारी हुई कि घटना से 1 दिन पहले ही दिल्ली से निरीक्षण के लिए पहुंची टीम ने उस कमरे को सील कर दिया था जो मंगलवार को धाराशायी हो गई। वैसे इन्हीं जर्जर कमरों में पिछले 4 साल से कक्षाएं लग रही थी। इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी की लापरवाही हमेशा की तरह उजागर हुई है और उन पर शायद ऐसी घटनाओं का कोई असर भी नहीं हो रहा, क्योंकि ना तो उनके अपने या अपनों के बच्चे ऐसे स्कूलों में पढ़ाई करते हैं जो वे इन हादसों की फ़िक्र करें ।उनके लिए तो हादसे एक सामान्य प्रक्रिया है जो होते रहते हैं। लेकिन उन्हें क्या पता कि ऐसे हादसों की वजह से कितने बच्चे डर कर स्कूल आना छोड़ सकते हैं। शायद उन्हें इससे भी कोई खास फर्क नहीं पड़ता होगा।
