रतनपुर

महामाया मंदिर में चढ़ने वाली सामग्री को दुकानों में बेच देते थे पुजारी, निपटने ट्रस्ट ने किया अनोखा फैसला

डेस्क

आस्था जीवन का आधार है और आस्था के आगे कोई तर्क मायने नहीं रखती। इसलिए जब चोट आस्था पर पड़ती है तो भावनाएं स्वाभाविक रूप से भड़क उठती है। धार्मिक मान्यताओं में जब बाजारवाद घुसने लगता है और मुनाफे के लिए आस्था पर चोट की जाती है तो फिर स्थिति विस्फोटक भी हो सकती है। हिंदू मान्यताओं में देवी को अर्पित चुनरी और श्रृंगार सामग्री केवल एक बार ही चढ़ती है उसे दोबारा चढ़ाना निषिद्ध होता है। विलासपुर और रतनपुर ही नहीं बल्कि विश्व में प्रसिद्ध रतनपुर सिद्ध शक्तिपीठ महामाया मंदिर के प्रति जन आस्था कितनी गहरी है यह बताने की जरूरत नहीं। लोग दूर-दूर से देवी के दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर मार्ग के दोनों ओर चुनरी नारियल अगरबत्ती आदि की सैकड़ों दुकानें हैं। जहां से सामग्री लेकर लोग अपनी आराध्य मां महामाया को अर्पित करते हैं लेकिन आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि यहां नियुक्त कुछ पुजारियों के लिए आस्था से बढ़कर कारोबार और मुनाफा है। जन भावनाओं को दरकिनार कर वे लोग चढ़ावे में चढ़ी चुनरी, नारियल, श्रृंगार सामग्री आदि को वापस इन्हीं दुकानदारों को सस्ते में बेच देते हैं।

जिन्हें वापस भक्तों को बेचा जाता है। यानी चुनरी नारियल आदि सामग्रियों का यहां बार-बार रीसायकल हो रहा है। श्रद्धालु यह समझ कर इन सामग्रियों को खरीदते हैं कि पहली बार वे माता को इसे अर्पित कर रहे हैं। लेकिन उन्हें क्या पता है कि चढ़ी हुई सामग्रियां उन्हें वापस बेची जा रही है। लंबे वक्त से पुजारियों द्वारा की जा रही कारगुजारीओं की भनक जब मंदिर ट्रस्ट को लगी तो उन्होंने इससे निपटने का अनोखा फैसला किया । ना रहेगी बांस ना बजेगी बांसुरी की तर्ज पर मंदिर ट्रस्ट ने फैसला किया है कि रोजाना जो चुनरी और श्रृंगार सामग्रीया देवी को अर्पित होगी उन्हें वे मां महामाया के दर्शन करने आने वाली महिलाओं को भेंट कर देंगे। इसकी शुरुआत इस रविवार से की गई प्रतिदिन दर्शनार्थियों द्वारा चढ़ाई गई चुनरी श्रृंगार सामग्री आदि को इकट्ठा किया गया और मंदिर परिसर में स्टॉल लगाकर दर्शनार्थ आने वाली श्रद्धालु महिलाओं को इन सामग्रियों को निशुल्क वितरित कर दिया गया। 1 सितंबर से प्रतिदिन ऐसा करने का फैसला लिया गया है ।

रतनपुर स्थित मां महामाया मंदिर में दर्शनार्थ आने वाली महिलाएं काउंटर से निशुल्क माता की चुनरी श्रृंगार सामग्री चूड़ियां आदि प्राप्त कर सकती हैं इससे यहां के पुजारियों की मिलीभगत का खात्मा होगा अब तक पुजारी और मंदिर के अन्य कर्मचारी इन्हीं सामग्रियों को वापस दुकानदारों को बेचकर मुनाफा कमा रहे थे लेकिन इससे भी बड़ी बात यह है कि इस तरह से लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ किया जा रहा था इस कदम से उनके इस कुत्सित प्रयास पर कुठाराघात हुआ है ।मंदिर ट्रस्ट के इस निर्णय का हर तरफ स्वागत किया जा रहा है।

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