
आकाश मिश्रा

निकाय चुनाव की तारीखों का अभी ऐलान भी नहीं हुआ है और अभी से राजनीतिक उठापटक आरंभ हो चुकी है। राजनीति के गलियारे में सुविधा भोगी, अवसरवादी,अवसर तलाश रहे हैं । राजनीति के माहिर यह आकलन करने में जुटे हुए हैं कि इस बार सत्ता का ऊंट किस करवट बैठेगा । इसी अंदाजे में पाला बदलने की तैयारी भी की जा रही है। मुंगेली जिले में भी राजनीतिक घमासान चरम पर है। प्रदेश में 15 साल बाद कांग्रेस की वापसी और दंतेवाड़ा चुनाव में कांग्रेस की जीत ने यह उम्मीद जगा दी है कि निकाय चुनाव में भी कांग्रेस ही बाजी मारेगी इसीलिए लोरमी में 40 भाजपा कार्यकर्ताओं के कांग्रेस प्रवेश की खबर से भाजपा में हाहाकार मच गया। इस खबर से जहां कांग्रेस की बांछें खिल गई, वहीं भाजपा डैमेज कंट्रोल में जुट गयी। तुरंत जिला भाजपा अध्यक्ष कोमल गिरी गोस्वामी को बयान जारी करना पड़ा। मीडिया को दिए बयान में उन्होंने कहा कि जिन भाजपा कार्यकर्ताओं के कांग्रेस प्रवेश की बातें कही जा रही है , वे कार्यकर्ता कभी भारतीय जनता पार्टी के विधिवत सदस्य थे ही नहीं । इस मामले में गोलू, मोनू, सोनू, मोटू जैसे नाम लिए जा रहे हैं । इसलिए कोमल गिरी गोस्वामी दावा करते हैं कि यह सभी मनगढ़ंत नाम है और यह केवल राजनीतिक स्टंट भर है। लोरमी में कांग्रेस का कोई जनाधार नहीं है । इसीलिए विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस को करारी हार मिली थी। इसलिए कोई भी कार्यकर्ता कांग्रेस प्रवेश करने जैसा आत्मघाती कदम नहीं उठायेगा।

लोरमी के अलावा मुंगेली में भी घमासान तेज है । व्यवसायी, शिक्षक और जमीन के बड़े कारोबारी संतु लाल सोनकर के अचानक सक्रिय होने से कई दिग्गज परेशान हैं। दावा किया जा रहा है कि संतुलाल सोनकर इस बार मुंगेली से अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी कर रहे हैं और उन्हें विधायक पुन्नूलाल मोहले का भी समर्थन हांसिल है ।इस बात को उस वक्त बल मिला जब एक पूर्व अध्यक्ष ने अचानक सभी बैनर पोस्टर में संतु लाल सोनकर के बड़े-बड़े फोटो पर आपत्ति जताते हुए उनकी दागदार छवि का जिक्र किया। कहते हैं विधायक ने भी संतु लाल सोनकर का ही पक्ष लेते हुए यह कह दिया कि अगली बार पोस्टर में आपका फोटो नहीं डाला जाएगा। यानी पुराने कार्यकर्ताओं और पार्टी के नेताओं को दरकिनार कर उस व्यक्ति को समर्थन दिया जा रहा है जिसके पास धन बल है। इसी कारण से कई अफवाहें भी बाजार में गर्म है। लेकिन विधायक के समर्थन से मुंगेली भाजपा कार्यकर्ताओं में खासा रोष है। वे इसके पीछे पैसों के लेनदेन का भी आरोप ऑफ द रिकॉर्ड लगा रहे हैं । उनका दावा है कि संतुलाल सोनकर का कोई जनाधार नहीं है और ना ही पार्टी में ही उनकी कोई हैसियत है। लेकिन उन्होंने इस चुनाव में अच्छी खासी रकम खर्च करने का इरादा कर लिया है ।इसी कारण से भारतीय जनता पार्टी के कुछ बड़े नेता उसे अपने मतलब से समर्थन दे रहे हैं। वही संतु लाल सोनकर के करीबियों का मानना है कि अगर भारतीय जनता पार्टी से उन्हें अवसर नहीं मिला तो वे इस बार निर्दलीय भी किस्मत आजमा सकते हैं, क्योंकि संतु लाल सोनकर ने इस बार हर हाल में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया है । इसके बाद पार्टी के लिए मुसीबत खड़ी हो चुकी है। क्योंकि यहां पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष और प्रेस क्लब अध्यक्ष कांग्रेस नेता अनिल सोनी बेहतर स्थिति में बताए जा रहे हैं।

अगर उनसे मुकाबला करना है तो उनके टक्कर का प्रतिद्वंदी उतारना पार्टी के लिए बेहद जरूरी है। ऐसे में संतु लाल सोनकर को अगर प्रत्याशी बनाया जाता है तो पार्टी के कार्यकर्ताओं को ही लगता है कि यह भारतीय जनता पार्टी की तरफ से वॉक ओवर साबित होगा। जाहिर है आने वाले दिनों में और भी नए नए समीकरण बनेंगे- बिगड़ेगे और इसी तरह के कयास भी लगाए जाएंगे, जिनके पीछे की सच्चाई तो वहीं बता सकते हैं , जिनके इर्द-गिर्द सारी अफवाहें बन- बिगड़ रही है।