
रमेश राजपूत

बिलासपुर – “कोरोना” वायरस के मद्देनजर किए गए लाॅकडाउन में आमजन को किसी भी प्रकार की कोई असुविधा ना हों इसके लिए आवश्यक सामग्रियों की दुकानों को समय-सीमा के भीतर खोलने की इजाजत दी गई है और कालाबाजारी को रोकने के लिए शासन द्वारा सामनों के बेचें जाने का दर भी निर्धारित किया गया है। लेकिन कुछ दुकानदार संकट की इस घड़ी में फायदा उठाने के लिए उपभोक्ताओं का शोषण कर रहें हैं।

संबंधित दुकानदार निर्धारित दर से अधिक मूल्य पर सामान बेच रहे है, राहल दाल जिसकी कीमत 100 रूपये है उसे 125 में,प्याज जिसका दर 26 रूपये निर्धारित है उसे 55 रूपये, 115 रूपये में बेचे जाने वाले रिफाइंड तेल को 125 रूपये में, यही नही छोटी छोटी वस्तुओं की कीमतों में भी 5 से 10 रुपए तक की बढ़ोत्तरी कर मुनाफा कमाया जा रहा है, जहाँ वैसे भी पूर्व में बाजार पर किसी तरह का नियंत्रण शासन का नही था, जिसकी वजह से व्यापारी मनमानी करते रहते थे, लेकिन इन दिनों तो प्रशासन के निर्देश के बावजूद लूट मची हुई है,

मामूली सी सोयाबीन की बड़ी जो सामान्य दिनों में 30 से 40 रुपए प्रति किलोग्राम में बिकती थी उसे 100 रुपए तक बेचा जा रहा है, वही शासन के सख्त निर्देश के बाद अब ख़राब क़्वालिटी की सामाग्री को उस कीमत में उपलब्ध होने का हवाला दिया जा रहा है और अच्छी क़्वालिटी के नाम पर अधिक पैसे वसूल किये जा रहे है।
शहरी और ग्रामीण दोनों ही ईलाको में मची लूट…

लॉक डाउन के दौरान शासन ने कालाबाजारी के मद्देनजर कीमतें निर्धारित तो कर दी है बावजूद इसके शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में वस्तुओं की कीमतों के नाम पर लूट मची हुई है,

आम जनता हर हाल में मजबूरी में खरीददारी कर रही है, जिन्हें शासन प्रशासन से आस है, ऐसे में सघन जांच और दंडात्मक कार्रवाई की आवश्यकता महसूस की जा रही है ताकि इस संकट के समय में भी अति लोभ की विकृति रखने वालों को उचित सबक मिल सके।
