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वर्ष में कुल 4 नवरात्र मनाए जाते हैं । दो प्रगट नवरात्र के अलावा दो गुप्त नवरात्र भी शामिल है। बुधवार से गुप्त नवरात्र आरंभ हुआ। श्री पीतांबरा पीठ सुभाष चौक सरकंडा में आषाढ़ गुप्त नवरात्र आषाढ़ शुक्ल पक्ष प्रतिपदा 3 जुलाई बुधवार से 10 जुलाई बुधवार तक संपन्न हो रहा है। गुप्त नवरात्र उत्सव में श्री पीतांबरा बगलामुखी देवी मां का विशेष पूजन जप, यज्ञ गुप्त रूप से किया जाएगा। पितांबरा पीठ के महंत आचार्य दिनेश चंद्र ने बताया कि – देवी भागवत के अनुसार जिस तरह वर्ष में चार बार नवरात्र आते हैं और जिस प्रकार नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की उपासना की जाती है ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात्र में 10 महाविद्याओं की साधना की जाती है गुप्त नवरात्र विशेषकर तांत्रिक क्रियाएं शक्ति साधना महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्व रखती है इस दौरान देवी भगवती के साधक बेहद कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं इस दौरान लोग लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करने का प्रयास करते हैं गुप्त नवरात्रि के दौरान 10 महाविद्या काली,तारा,षोडशी,त्रिपुरभैरवी ,भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता,धूमावती,बगला,मातंगी,कमला देवी की पूजन करते हैं।
भगवती पितांबरा शत्रुनाशक बगलामुखी दसमहाविद्या में आठवीं महाविद्या है मां बगलामुखी स्तंभन शक्ति की अधिष्ठात्री है इनमें संपूर्ण ब्रह्मांड की शक्ति का समावेश है माता बगलामुखी पीले आभा से युक्त है इसलिए इन्हें पितांबरा भी कहा जाता है बगलामुखी की पूजा में पीले रंग का विशेष महत्व है।बगला शब्द संस्कृत भाषा के वल्गा का अपभ्रंश है जिसका अर्थ होता है दुल्हन। अतः मां के अलौकिक सौंदर्य और स्तंभन शक्ति के कारण ही इन्हें यह नाम प्राप्त हुआ है देवी बगलामुखी रत्न जड़ित सिंहासन पर विराजमान रथ पर आरुढ़ हो शत्रु का नाश करती है देवी के भक्तों को तीनों लोकों में कोई नहीं हरा पाता है वह जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है। माता बगलामुखी की उपासना से शत्रु नाश वाक् सिद्धि वाद विवाद शास्त्रार्थ मुकदमों में विजय प्राप्त करने के लिए बंधन मुक्त ग्रह शांति संतान प्राप्ति अकारण कोई आप पर अत्याचार कर रहा हो तो उसे रोकने सबक सिखाने के लिए विशेष रूप से की जाती है। चतुर्दशी की रात्रि को देवी बगलामुखी का प्राकट्य हुआ था महाविद्या भगवती बगुला ने प्रसन्न होकर विष्णु जी को इच्छित वर दिया तब जाकर सृष्टि का विनाश रुक सका।देवी बगलामुखी को वीर रति भी कहा जाता है क्योंकि देवी स्वयं ब्रह्मास्त्र रुपणि है इनके शिव को एकवक्त्र महारुद्र कहा जाता है इसीलिए देवी सिद्ध विद्या है तांत्रिक इन्हें स्तंभन की देवी मानते हैं गृहस्थओं के लिए देवी समस्त प्रकार के कष्टों का शमन करने वाली है बगलामुखी आराधना में पीत वस्त्र धारण करना आवश्यक होता है पीत वस्त्र का ही आसन लेना चाहिए आराधना में सभी वस्तुएं पीले रंग की होनी चाहिए।
प्रतिपदा को घट स्थापना के साथ गुप्त नवरात्रि की विशेष पूजा उपासना आरंभ हुई। आगामी नौ दिवस तक इसी तरह देवी की विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी । सभी शक्ति मंदिरों में गुप्त नवरात्र का पर्व मनाया जा रहा है। रतनपुर स्थित मां महामाया मंदिर में भी बुधवार से गुप्त नवरात्र उत्सव का आरंभ हुआ।