
भुवनेश्वर बंजारे

बिलासपुर– कोरोना संक्रमण के ख़ौफ़ के बीच सिम्स की वायरोलाजी लेब ने एक नई उपलब्धि प्राप्त कर ली है। महज चंद महीनों में ही 2 लाख जांच सैम्पलिंग की टेस्टिंग कर एक मिसाल पेश किया है। कोरोना वायरस के प्रकोप से पूरा देश सख्ते में है।

जिस गति से देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है वैसे-वैसे संक्रमण की जांच के लिए किए जाने वाले टेस्ट की संख्या भी बढ़ रही है। इस विपरीत परिस्थितियों में बिलासपुर सिम्स हॉस्पिटल में माइक्रोबायोलॉजी के वायरोलाजी कोविड टेस्टिंग लैब की स्थापित किया गया। जहाँ एक अगस्त 2020 से 13 सैंपलों की आरटीपीसीआर जांच की शुरुवात की गई।

वही उक्त लैब के संचालन और कुशल नेतृत्व के लिए हॉस्पिटल प्रबंधन ने डॉक्टर सागरिका प्रधान की अगुवाई में डाक्टर रेखा बारापात्रे के जिम्मेदार कंधों पर जिम्मेदारी दी गई। जिससे सीमित संसाधनों और संक्रमण के दहशतगर्दी के बीच 21 जनवरी को सिम्स के माइक्रोबायोलॉजी के वायरोलाजी कोविड टेस्टिंग लैब ने अपनी पहली उपलब्धि हासिल करते हुए एक लाख टेस्टिंग का लक्ष्य पूरा किया था। इसी कड़ी में महज चार महीनों में पुनः लैब के कर्मठ कर्मचारियों और अधिकारियों के बलबुते दो लाख सैम्पल जांच करने की उपलब्धि हासिल कर ली है। जिसमे 17 हजार 704 संदेहियों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। तो वही 1 लाख 79 हजार 115 लोगो की रिपोर्ट नेगेटिव आई है। जो संस्था के वायारोलॉजी लैब प्रभारी डॉ . रेखा बारापात्रे और विभाग प्रमुख डॉ . सागरिका प्रधान के कुशल नेतृत्व व मार्गदर्शन में संभव हो सका है। जिन्होंने बताया कि इस उपलब्धि में प्रारंभ से ही डॉ . ज्योत्सना दुबे , डॉ . अंजु श्रीवास्तव डॉ . रश्मिका दबे , डॉ , विनोद टण्डन , डॉ . प्रियंका व डॉ . पल्लवी का विशेष योगदान रहा है।
विभाग प्रमुखों ने दी बधाई…

महीनों से अलग अलग शिफ्ट में काम कर शासन प्रशासन को उचित जानकारी देन सिम्स के माइक्रोबायोलॉजी के वायरोलाजी कोविड टेस्टिंग लैब के सभी अधिकारी , साईंटिस्ट , लैब टेक्नीशियन , लैब अटेन्डेन्ट व डाटा ऑपरेटर आदि कर्मचारी डटे रहे। जिनके महती भूमिका के बलबुते ही लैब ने करीब आठ महीनों में ही दो लाख सैम्पल जांच की उपलब्धि हासिल हो सकी है। जिसको लेकर सिम्स अधिष्ठाता , डॉ . तृप्ति नागरिया ने विभाग में उपस्थित होकर सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को उत्साहवर्धन करते हुए बधाई दी।
जांच में डटे कोरोना वॉरियर्स भी आए कोरोना के चपेट में,,फिर भी जारी रखा काम..

ऐसा नहीं कि इस उपलब्धि को आसानी से पा लिया गया है। इसके लिए माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट के डॉक्टर, अधिकारी, लेब टेक्नीशियन को दिन रात मेहनत करना पड़ा है। इस दौरान डिपार्टमेंट के दर्जनों स्टॉफ कोरोना के चपेट में आए हैं। इसके बाद भी जांच अनवरत चलता रहा है। ताकि जिलेवार कोरोना संक्रमण की स्थिति साफ हो सके और उसको लेकर बेहतर प्रबंध सुनिश्चित किया जा सके।
नई मशीन हुई इंस्टॉल,,जांच में आएगी तेजी..
कोरोना के शुरुवाती दौर से ही सिम्स में पर्याप्त संसाधनों की उपलब्धता नही रही है। बावजूद इसके सिम्स के माइक्रोबायोलॉजी के वायरोलाजी कोविड टेस्टिंग के काम निर्बधित रूप से चलता रहा है। इस बीच हालहि में अजीम प्रेमजी फाउंडेशन द्वारा एक आर.टी.पी.सी.आर. मशीन प्रदत्त की गई है। जिससे निश्चित रूप से आर.टी.पी.सी.आर. जॉच में और तेजी आएगी।