
अनुशासन के नाम पर बच्चों को किस तरह से प्रताड़ित किया जा रहा है और एग्जाम में बैठने नहीं देने की धमकी देकर पैरंट से फीस की वसूली की जा रही है

बिलासपुर प्रवीर भट्टाचार्य
अभी हाल ही की बात है अनुशासन के नाम पर जैन इंटरनेशनल स्कूल ने आयुष के साथ जिस तरह की कड़ाई बरती थी,उसका नतीजा यही निकला कि आत्मग्लानि के चलते आयुष ने मौत को गले लगा लिया ।ऐसी ही गलती मंगलवार को बहतराई स्थिति ब्रिलिएंट पब्लिक स्कूल के कर्ताधर्ताओ ने भी की ।मंगलवार से इलेवंथ कॉमर्स के प्री बोर्ड एग्जाम आरंभ हुये। सुबह बच्चे परीक्षा देने पहुंचे इनमें से आठ -नौ बच्चों को परीक्षा देने से रोक दिया गया ।कारण बच्चों का शार्ट अटेंडेंस बताया गया। परीक्षा देने से रोके जाने के बाद बच्चे घबरा गए और स्कूल परिसर में ही फफक फफक कर रोने लगे । इसी दौरान किसी ने बच्चों के पेरेंट्स को भी इसकी सूचना दे दी और बच्चों के पेरेंट्स मौके पर पहुंच गए, जिसके बाद हंगामा शुरू हो गया।

पेरेंट्स ने आरोप लगाया कि शार्ट अटेंडेंस तो सिर्फ एक बहाना भर है असल में स्कूल प्रबंधन कुछ और इश्यू की वजह से पैरंट्स पर दबाव बनाने यह सब कर रहा है ।जिन बच्चों को परीक्षा देने से रोका गया उनमें से कई बच्चों ने फीस जमा नहीं की है। अनुशासनहीनता के भी कुछ मामले इन बच्चों के साथ जुड़े हैं, लेकिन इतने भर से बच्चों को परीक्षा देने से रोकना स्कूल प्रबंधन की मनमानी और हठधर्मिता मानी जा रही है। इसलिए पैरंट्स ने स्कूल पहुंचकर हंगामा मचा दिया । हंगामे के बाद स्कूल प्रबंधन को झुकना पड़ा ।सुबह 7:30 से 10:30 का समय परीक्षा के लिए निर्धारित था लेकिन हंगामे की भेंट चढ़ चुके बच्चों को स्कूल प्रबंधन ने 9:30 बजे के करीब परीक्षा देने दिया ।अगर स्कूल प्रबंधन झुका है तो इसके पीछे पैरंट्स के जबरदस्त विरोध के साथ उस वीडियो की भी अहम भूमिका है जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। लोग धड़ाधड़ इस वीडियो को शेयर करने लगे और पत्रकारों के मोबाइल पर भी वीडियो के पहुंचने पर स्कूल का फोन घनघनाने लगा । जिसके बाद दिल्ली पब्लिक स्कूल के संचालक मंडल को झुकना पड़ा और आनन-फानन में बच्चों को परीक्षा देने दिया गया।
ब्रिलिएंट पब्लिक स्कूल के संचालक प्रवीण अग्रवाल ने सत्याग्रह डॉट इन के साथ बातचीत के दौरान बताया
कि जिन 8 या 9 बच्चों को परीक्षा देने से रोका गया था उनके साथ कई मामले जुड़े हुए हैं जिन के निदान के लिए लगातार उनके अभिभावकों को नोटिस भेजा जा रहा था लेकिन उनके अभिभावक मिलने तक नहीं पहुंचे ।क्वार्टरली एग्जाम में भी यह सभी बच्चे फेल हो चुके हैं लिहाजा
पैरंट्स पर दबाव बनाने और उन्हें स्कूल तक बुलाने के लिए इसके अलावा प्रबंधन के पास कोई विकल्प शेष नहीं बचा था ।करीब 2 घंटे के बहस के बाद फौरी तौर पर भले ही बच्चों की समस्या का समाधान हो गया हो लेकिन इस घटना से ब्रिलिएंट पब्लिक स्कूल की कलई जरूर खुल गई है कि स्कूल में अनुशासन के नाम पर बच्चों को किस तरह से प्रताड़ित किया जा रहा है और एग्जाम में बैठने नहीं देने की धमकी देकर पैरंट से फीस की वसूली की जा रही है । ऐसे ही एक घटना में हाल ही में एक बच्चे को खुदकुशी करनी पड़ी थी इसलिए अनुशासन का फंदा इतना भी तंग नहीं होना चाहिए कि दम घुटने लगे, इस बात का ब्रिलियंट पब्लिक स्कूल प्रबंधन को भविष्य में ध्यान रखना होगा नहीं तो प्रबंधन और पैरंट्स के बीच इसी तरह के टकराव की स्थिति बनती रहेगी।
