
आदिवासी सरपंच की खुदकुशी के बाद इलाके में राजनीतिक सरगर्मियां भी तेज हो गई है
बिलासपुर प्रवीर भट्टाचार्य
नई सरकार ने रेत घाटों की जिम्मेदारी पंचायत से छीन ली है, जिसके बाद एक तरफ तो रेत का अवैध कारोबार बढ़ गया है वही रेत माफिया के सक्रिय होने से हालात इस कदर बदतर हो चुके हैं कि लोगों को खुदकुशी करनी पड़ रही है। बेलगहना क्षेत्र के ग्राम पंचायत छतौना का सरपंच संत कुमार पैकरा पिछले कुछ दिनों से काफी परेशान था। बुधवार की रात 8:00 बजे खाना खाने के बाद वह घर में किसी को भी कुछ भी बताए बगैर निकल गया और रात को घर नहीं लौटा। रात भर परिजन परेशान रहे और सुबह उसकी तलाश में जब परिजन निकले तो उन्हें पता चला कि रात में ही संत कुमार ने तालाब के पास एक सरई के पेड़ में जी आई तार से फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली है। इसकी सूचना पाकर पहुंची पुलिस ने शव को उतारा और पंचनामा किया। पुलिस को मृतक के पास से एक सुसाइड नोट मिला है, जिसमें रेत घाट के साथ भाजपा और कांग्रेस नेताओं का भी जिक्र है।
पुलिस फिलहाल इसका खुलासा नहीं कर रही है। माना जा रहा है कि रेत घाट के पैसे को लेकर मृतक संत कुमार काफी दिनों से परेशान था और उसे क्षेत्र के कुछ दबंग नेता परेशान कर रहे थे ,जिस कारण उन्हें अपनी जान देनी पड़ी। वहीं मृतक के चचेरे भाई ने इसे आत्महत्या नहीं हत्या बताया है और पुलिस से निष्पक्ष जांच की मांग की है । आदिवासी सरपंच की खुदकुशी के बाद इलाके में राजनीतिक सरगर्मियां भी तेज हो गई है । आदिवासी समाज के प्रदेश महामंत्री विभोर सिंह भी अपने समर्थकों के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए और पुलिस से निष्पक्ष जांच की मांग की। घटना की जानकारी लगते ही गांव के सभी स्कूल बंद करा दिए गए। इस मामले में गांव में काफी आक्रोश देखा जा रहा है और लोगों ने सुसाइड में उल्लेखित नामों के खिलाफ जल्द कार्यवाही की मांग की है।