
जुगनू तंबोली
रतनपुर – बिलासपुर-कोरबा मार्ग पर स्थित लिमहा टोल प्लाजा पर यात्रियों और वाहन चालकों को भारी असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है। जहां शासन के स्पष्ट निर्देश हैं कि टोल प्लाजा पर यात्रियों के लिए पेयजल, शौचालय और सुरक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए, वहीं यहां व्यवस्थाओं का हाल बेहाल है। टोल वसूली तो नियमित की जा रही है, लेकिन सुविधाएं नाममात्र की भी नहीं हैं। गर्मियों की भीषण तपिश में राहगीरों के लिए पेयजल की व्यवस्था नहीं होना सबसे बड़ी चिंता का विषय है।
शासन द्वारा टोल प्लाजा पर वाटर एटीएम और प्याऊ जैसी व्यवस्था करने के निर्देश हैं, ताकि लोगों को साफ और ठंडा पानी मिल सके। लेकिन लिमहा टोल प्लाजा का वाटर एटीएम कई महीनों से बंद पड़ा है। इस एटीएम से एक रुपये में 300 मिलीलीटर पानी मिलना था, पर अब यात्री बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं। सुलभ शौचालयों की हालत और भी बदतर है। टोल प्लाजा के पास बनाए गए टॉयलेट भवन टूट-फूट का शिकार हो चुके हैं। नल खराब हैं, टंकियों में पानी नहीं, दरवाजे टूटे हुए हैं और कहीं भी साफ-सफाई नजर नहीं आती। टॉयलेट बनने के बाद से कभी भी नियमित सफाई नहीं की गई है, जिससे बदबू और गंदगी से लोग परेशान हैं।
महिलाओं और बुजुर्गों के लिए यह समस्या और भी गंभीर हो जाती है। कर्मचारियों की अनियमितता भी चिंता का विषय है। टोल प्लाजा में काम कर रहे कर्मचारियों के पास न तो कोई ड्रेस कोड है और न ही गले में परिचय पत्र, जो कि नियमों के अनुसार अनिवार्य है। यही कारण है कि टोल पर गाली-गलौज और मारपीट की शिकायतें आम हो गई हैं। जब पीड़ित पक्ष पुलिस में शिकायत दर्ज कराने जाता है तो जवाब मिलता है कि “वह व्यक्ति टोल का कर्मचारी ही नहीं था”। इससे टोल प्रशासन की लापरवाही और जवाबदेही पर सवाल उठ रहे हैं।
वाहनों की कतारें आम बात हैं, लेकिन यात्रियों के ठहरने या विश्राम की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है। गर्मी, प्यास और थकावट से जूझते हुए लोग यहां केवल एक जगह शुल्क देकर गुजरने को मजबूर हैं, लेकिन उन्हें किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं दी जा रही है। लिमहा टोल प्लाजा पर नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, और जिम्मेदार अधिकारी आंख मूंदे बैठे हैं। यह स्थिति न केवल यात्रियों की असुविधा बढ़ा रही है, बल्कि शासन के दिशा-निर्देशों की भी अवहेलना है। स्थानीय नागरिकों और यात्रियों ने प्रशासन से मांग की है कि टोल प्लाजा की व्यवस्थाओं की तत्काल समीक्षा कर आवश्यक सुधार कराए जाएं, ताकि यात्रियों को कम से कम बुनियादी सुविधाएं तो मिल सकें।