
प्री वेडिंग शूट में पहले ही सुर्खियां बटोर चुके है ये छत्तीसगढ़ के दूल्हा और दुल्हन
देवेंद्र निराला
जांजगीर– छत्तीसगढ़ की परंपरा और संस्कृति को प्रदर्शित करता एक विवाह समारोह प्रदेश में सभी लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है, जिसमें महंगे परिधानों और फिजूलखर्ची के दिखावे को आइना दिखाती यह तस्वीर समाज को सिख दे रही है कि पढ़े लिखे और पैसे कमाने का ये मतलब नही है कि अपनी संस्कृति और परंपरा को दर किनार कर दो बल्कि उसे उसी उत्साह और उमंग के साथ निभाओ की उसकी जड़े और मजबूत हो, ऐसा ही इन युवाओ ने किया है, जिन्होंने अपने विवाह को पूरी तरह से छत्तीसगढ़ी परंपरा और संस्कृति में पिरोने का निर्णय लिया है। गौरतलब है कि प्री वेडिंग शूट में छत्तीसगढ़ के परिधान और ग्रामीण लुक में दूल्हा दुल्हन का फोटो सोशल मिडिया में वाइरल होने के बाद सुर्खियों में आए दूल्हे की आज बारात निकली, बारात ऐसी जिसे देखने के गली मोहल्ले नहीं बल्कि नगर के लोग उमड़ पड़े,, जी हाँ छत्तीसगढ़ के प्रमुख वाहन बैल गाड़ी में पागा लगा कर दूल्हा सवार हुआ और बाजा में छत्तीसगढ़ का लोक नृत्य कर्मा मंडली मांदर,झाझ मजीरा के साथ निकला, दिन में निकली इस बारात को देखने के लिए लोगो की भीड़ लगा गई और छत्तीसगढ़ की संस्कृति को संजोये रखने के लिए किये गए इस प्रयास की सराहना करते रहे,
जांजगीर के पुरानी बस्ती चितर पारा में रहने वाले पेशे से इंजिनियर देवेंद्र राठौर ने अपनी शादी के लिए खास तैयारी की, और प्री वेडिंग शूट में छत्तीसगढ़िया अंदाज में फोटो और विडिओ शूट कराया, जिसे सोशल मिडिया में देखने के बाद लोगो की खूब सराहना मिली,,, इंजिनियर देवेंद्र राठौर ने इसी छत्तीसगढ़िया अंदाज को आगे बढ़ाते हुए बैल गाड़ी में बारात निकाली, जिसमे बाजे गाजे के रूप में छत्तीसगढ़ की प्रमुख वाद्य यँत्र माँदर, झाँझ, मंजिरा, के साथ कलाकार नाचते गाते हुए निकले, इतना ही नहीं बारात में शामिल परिवार की महिलाओ ने भी छत्तीसगढ़िया पहनावा को प्रथमिकता दी और हरा लुगरा के साथ कमर में करधन,

हाथ में ककनी, कड़ा, पैरी पहन कर निकली और नृत्य भी की, शादी के इस छत्तीसगढ़िया अंदाज को लेकर दूल्हा ,देवेंद्र राठौर का कहना हैं कि आज समाज और छत्तीसगढ़ के लोग अपनी मूल को भूलते जा रहे है,और पश्चिमी संस्कृति में रमते जा रहे है, जिसके कारण डीजे के कानफोड़ू साउंड और तामझाम में हमारी संस्कृति विलुप्त होते जा रही है, हमने परिवार के साथ चर्चा कि और छत्तीसगढ़िया अंदाज में बारात निकाल कर आज के युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति से परिचय कराने की कोशिश की है, पढ़े लिखें नौजवान के द्वारा आधुनिक ताम झाम को दरकिनार कर छत्तीसगढ़िया परंपरा को आगे बढ़ाने का काम किया है।