मंगलवार को उस वक्त जिला कोर्ट में हड़कंप मच गया जब विराट अपहरण कांड का मुख्य आरोपी राज किशोर सिंह पुलिस अभिरक्षा से भाग खड़ा हुआ पुलिस उसे कोर्ट में पेश करने लाई थी बाद में पुलिस ने उसे धर दबोचा
प्रवीर भट्टाचार्य
चोर चोरी से जाए ,हेरा फेरी से ना जाए। विराट अपरण कांड के मास्टरमाइंड राज किशोर सिंह ने एक बार फिर इस कहावत को चरितार्थ किया है। बिलासपुर के बहुचर्चित विराट अपहरण कांड के सरगना राज किशोर सिंह को काफी जद्दोजहद के बाद बिहार के मीरगंज से पुलिस ने गिरफ्तार किया था। न्यायिक रिमांड पर चल रहे राज किशोर सिंह की पेशी मंगलवार को जिला सत्र न्यायालय में थी । यही दोपहर को मौका पाकर अचानक अपहरण का आरोपी राज किशोर सिंह पुलिस कर्मियों को धक्का देकर कोर्ट से भाग खड़ा हुआ ।
इस हाई प्रोफाइल मामले के प्रमुख आरोपी के इस तरह पुलिस अभिरक्षा से भागने से वहां मौजूद पुलिसकर्मियों के भी हाथ-पांव फूल गए । एक पल को तो उन्हें कुछ समझ में नहीं आया और जब समझ में आया तो वे भी उसके पीछे भागने लगे। जिला सत्र न्यायालय से निकल कर राज किशोर सिंह मुंगेली नाका चौक की ओर भागने लगा। भागते भागते वह सेफर स्कूल तक जा पहुंचा। इस दौरान इस सड़क पर बड़ी संख्या में लोगों की आवाजाही थी। एक अपराधी आगे आगे भाग रहा था और उसके पीछे पुलिस के लोग। लेकिन फिर भी किसी ने राज किशोर सिंह को पकड़ने की हिम्मत नहीं दिखाई। पुलिस से भागते हुए राज किशोर सिंह ने काफी फासला तय कर लिया था , लेकिन इसी हड़बड़ी में वह सेफर स्कूल के पास लड़खड़ा कर गिर पड़ा ।तब पीछे से आ रहे पुलिसकर्मियों ने उसे धर दबोचा। कोर्ट से भागने की कोशिश करते राज किशोर सिंह के दोबारा पकड़े जाने पर पुलिस ने राहत की सांस ली।
बिहार निवासी राज किशोर सिंह शातिर अपराधी है। पूर्व में भी वह एक अपहरण के मामले में गिरफ्तार हो चुका था। जिस मामले में उस पर मुकदमा चल रहा है। वही 20 अप्रैल की रात उसने बिलासपुर में बहुचर्चित विराट अपहरण कांड को अंजाम दिया था , जिसके बाद वह अपनी डस्टर कार से सवार होकर अंबिकापुर, बलरामपुर होते हुए औरंगाबाद चला गया था, जहां से बार-बार लोकेशन बदल कर फिरौती की मांग कर रहा था। इसी दौरान 9 या 10 मई के आसपास पुलिस ने उसे बिहार के मीरगंज से गिरफ्तार किया। इससे पहले अपहरण के अन्य सभी आरोपी पुलिस ने पकड़ लिए थे। विराट अपहरण कांड के सभी आरोपियों के पकड़े जाने के बाद पुलिस ने राहत की सांस ली थी, लेकिन पुलिस भूल गई थी कि राज किशोर सिंह एक पेशेवर, शातिर अपराधी है और वह हर बार पुलिस को नए तरीके से अलग सी चुनौती पेश करता है ।पेशेवर अपराधी राज किशोर सिंह को अदालत लाने के दौरान पुलिस से सुरक्षा गत चूक हुई थी, क्योंकि पुलिस ने उसे भांपने में गलती कर दी थी और यही चूक उनके लिए आत्मघाती साबित हुई। वह तो भला हुआ कि राज किशोर सिंह को भगाने में किसी ने मदद नहीं की ।अगर कोई उसका साथी उसे अपने साथ वाहन में बिठाकर भाग खड़ा होता या फिर राजकिशोर सिंह किसी भूल भुलैया वाली गली में प्रवेश कर जाता तो फिर उसे पकड़ना इतना आसान तो ना होता। वैसे राज किशोर सिंह के सभी साथी 26 अप्रैल को ही पकड़े गए थे। आपको याद दिला दे कि 20 अप्रैल की शाम बिलासपुर के कर्बला से विराट सराफ का अपरहण राज किशोर सिंह के साथ उसके कुछ साथियों ने किया था, जिसमें विराट की ताई भी शामिल थी। सभी आरोपियों के पकड़े जाने के बाद यह मामला ठंडा पड़ गया था ,लेकिन एक बार फिर मामले के मुख्य आरोपी राज किशोर सिंह ने पुलिस अभिरक्षा से भागकर विराट अपहरण कांड की याद ताजा कर दी और मामले में बोतल में बंद जिन्न वापस बाहर आ गया।