
अजीत जोगी का साथ लोग छोड़ते जा रहे हैं ।इससे कहीं कारवां कुनबा तक सिमट कर ना रह जाए ,अब यह अंदेशा सताने लगा है
बिलासपुर प्रवीर भट्टाचार्य
बंधी मुट्ठी लाख की ,खुल गई तो फिर खाक की। कुछ यही स्थिति प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी और उनकी पार्टी की हुई है। विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं को जो सपने दिखाए थे उन सपनों की हकीकत विधानसभा चुनाव में स्पष्ट हो गई। अन्य प्रादेशिक पार्टियों की तरह छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस भी एक परिवार की पार्टी बन कर रह गई और चुनाव में भी सफलता सिर्फ उसी परिवार के इर्द-गिर्द सिमट कर रह गई है।बसपा से गठबंधन की वजह से पार्टी के बड़े नेता खुद को उपेक्षित महसूस करने लगे थे और यह संकेत मिलने लगे थे की कई बड़े नाम अजीत जोगी का साथ छोड़ सकते हैं। विनाश काले विपरीत बुद्धि की तरह इन साथियों को मनाने की जगह खुद अजीत जोगी इनके खिलाफ कार्यवाही कर उल्टी फंसते नजर आ रहे हैं ।चाहे संतोष कौशिक हो, सियाराम कौशिक या फिर बारामते।इन सब को बात का एहसास हो चुका है कि अजीत जोगी की पार्टी का कोई खास भविष्य नहीं है। वहीं प्रदेश में कांग्रेस को मिली आशातीत सफलता से पार्टी छोड़ कर गए इन नेताओं का पार्टी के प्रति फिर से स्नेह जाग उठा है या फिर यह कह सकते हैं कि उन्हें अपना सुरक्षित भविष्य एक बार फिर कांग्रेस में ही दिख रहा है। 28 जनवरी को छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस की बैठक से इन नेताओं ने दूरी बना ली जिसके बाद अनुशासनात्मक कार्यवाही के तहत इन सबको निलंबित करने का आदेश सुप्रीमो अजीत जोगी ने सुना दिया।
वैसे भी यह नेता कुछ दिनों से मुख्यमंत्री और कांग्रेस के बड़े नेताओं के संपर्क में थे लेकिन कांग्रेस में ही कुछ लोगों के विरोध में होने की वजह से अब तक उनकी वापसी नहीं हो पाई है ,इधर अजीत जोगी ने व्हाट्सएप में निलंबित कर शायद इनकी राह आसान कर दी है। इस विधानसभा चुनाव में तखतपुर से बेहद प्रभावी प्रदर्शन करने वाले संतोष कौशिक भी इन्ही में से एक है। संतोष कौशिक को भी 28 जनवरी की बैठक में अनुपस्थित रहने के आरोप में पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। लेकिन संतोष कौशिक ने अजीत जोगी को पत्र लिखकर यह स्पष्ट किया है कि उन्हें कार्यालय प्रभारी कमल जायसवाल ने जब आमंत्रित करने के लिए फोन किया था उसी वक्त उन्होंने बता दिया था कि वह एक वैवाहिक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए 28 तारीख को जाएंगे इसलिए बैठक में उपस्थित नहीं हो पाएंगे ।
लेकिन असली वजह कुछ और है अजीत जोगी भली-भांति जानते हैं कि संतोष कौशिक कांग्रेस में प्रवेश करने वाले हैं। पिछले दिनों मुख्यमंत्री के चकरभाटा आगमन पर भी संतोष कौशिक उनका स्वागत करते देखे गए थे, इसलिए किरकिरी से बचने के लिए अजीत जोगी ने संतोष कौशिक को निलंबित करने का दांव खेला ,लेकिन संतोष कौशिक ने उल्टे पत्र लिखकर अजीत जोगी को कह दिया कि वह खुद पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहे हैं। निलंबन करने जैसी कोई स्थिति ही नहीं है। जहीर है अजीत जोगी के वे ही साथी अब साथ छोड़ने लगे हैं जिनके भरोसे अजीत जोगी किंग मेकर बनने का सपना देख रहे थे ।अकेला ही चला था जानिबे मंजिल, लोग मिलते गए ,कारवां बनता गया, के उलट यहां तो एक-एक कर अजीत जोगी का साथ लोग छोड़ते जा रहे हैं ।इससे कहीं कारवां कुनबा तक सिमट कर ना रह जाए ,अब यह अंदेशा सताने लगा है।