
अपराधी विक्रम सिंह को गिरफ्तार करने के बाद मंगलवार को पुलिस उसका जुलूस निकालकर कोर्ट पहुंची। जिसकी कोशिश हर दिल पर अपना खौफ कायम करने की थी उसका सड़क पर खूब तमाशा बन गया

बिलासपुर प्रवीर भट्टाचार्य
चोर चोरी से जाए पर हेरा फेरी से न जाए। इस पुरानी कहावत को मंगला क्षेत्र के रंगबाज और आदतन अपराधी विक्रम सिंह ने सही साबित किया है। खुद को वो इलाके का दबंग समझता है और अपना डर कायम रखने के लिए किसी न किसी अपराध को अंजाम देता रहता है। विधानसभा चुनाव के दौरान उसके पुराने रिकॉर्ड की वजह से उसे राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत 3 महीने के लिए जेल भेज दिया गया था लेकिन जेल से छूटते ही एक बार फिर उसने गुंडागर्दी शुरू कर दी । 27 खोली निवासी विक्रम सिंह जेल से छूटने के बाद से मंगला के रेत घाट में बैठकर शराब खोरी करता और इस दौरान यहां आने वाले वाहनों के चालक और मजदूरों से मारपीट, गाली गलौज कर पैसों की मांग करता रहता। इसकी शिकायत लगातार मंगला की सरपंच गायत्री पटेल के पति रमेश पटेल को मिल रही थी , लेकिन विक्रम सिंह की आदत को जानते हुए वो उसे लगातार नजर अंदाज करता रहा। लेकिन जब शिकायतों का अंबार लग गया तो रमेश पटेल ने विक्रम सिंह को समझाइश दी, लेकिन इसका उल्टा ही असर हुआ। अपनी गलती समझने की बजाय विक्रम सिंह सोमवार रात को इस समझाइश से नाराज़ होकर फरसा लेकर मंगला के आजाद चौक पहुंच गया और सरपंच पति रमेश पटेल को जान से मारने के लिए दौड़ाने लगा। उसकी नियत को समझ कर रमेश पटेल किसी तरह जान बचाकर भागा और इसकी शिकायत सिविल लाइन थाने में की।

सोमवार रात को ही सिविल लाइन पुलिस ने इलाके के छंटे हुए बदमाश विक्रम सिंह को गिरफ्तार कर लिया। अब इसे संजोग कहें या फिर विक्रम सिंह का दुर्भाग्य , मंगलवार को विक्रम सिंह को कोर्ट ले जाते जाने के दौरान नेहरू चौक के पास पुलिस वाहन में कुछ खराबी आ गई, जिसके बाद नेहरू चौक से जिला कोर्ट तक अपराधी विक्रम सिंह की बारात निकल गई। पुलिस उसे हथकड़ी में जकड़े सड़क पर पैदल चलाते हुए कोर्ट तक ले गई। पुलिस अभिरक्षा में किसी अपराधी को इस तरह ले जाने से यह अफवाह फैल गयी कि पुलिस किसी नक्सली को लेकर जा रही है, लेकिन बाद में यह खबर झूठी निकली। लोग यह भी कहते सुने गए कि विक्रम सिंह जैसे बदमाश के हौसले पस्त करने के लिए पुलिस ने जानबूझकर उसका जुलूस निकाला। अगर ऐसा हुआ तो फिर ऐसा होना ही चाहिए।

खुद को कानून और व्यवस्थाओं से परे समझ कर इलाके में दहशत कायम करने के मकसद से आए दिन अपराधों को अंजाम देना और इसी दहशत के दम पर लोगों से उगाही करना, कुछ लोगों ने अपना पेशा बना लिया है। ऐसे लोगों के साथ जब तक इस तरह की सख्ती नहीं बरती जाएगी, तब तक उनके हौसले पस्त नहीं होंगे । इसलिए लोगों ने पुलिस के इस कदम की सराहना ही की है। सरपंच को फरसा लेकर दौड़ाने वाले अपराधी का जब जुलूस निकला तो फिर उसकी सारी दबंगई हवा हो गई।