
जिला प्रशासन द्वारा आम आदमी को तो मतदान के लिए जागरूक किया गया लेकिन शासन प्रशासन अपने ही उन कर्मचारियों को जागरुक करना भूल गया जिनकी ड्यूटी चुनाव में लगाई गई है

बिलासपुर प्रवीर भट्टाचार्य
चुनाव ड्यूटी में तैनात होने की वजह से सुरक्षाकर्मी अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर पाते ,इसलिए इस बार पुलिसकर्मियों के लिए भी चुनाव से पहले ही डाक मतपत्रों से मतदान की विशेष व्यवस्था की गई थी। इसके लिए पुलिसकर्मियों से पहले ही आवेदन मंगाए गए थे। जिला पुलिस बल के 577 पुलिसकर्मियों के साथ बाहर से आने वाले सुरक्षाकर्मी और बटालियन के सिपाहियों को मिलाकर मतदाताओं की संख्या 1333 थी, जिनके लिए पुलिस लाइन स्थित पुलिस कल्याण स्वास्थ्य केंद्र में दो दिवसीय मतदान कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यहां निर्धारित डाक मतपत्रों पर अपने पसंदीदा प्रत्याशी के नाम के आगे मोहर लगाकर डाक मतपत्रों को बैलट बॉक्स में डाला गया। जिला प्रशासन द्वारा शत प्रतिशत मतदान के लिए चलाए गए अभियान से पुलिसकर्मी बिल्कुल अछूते नजर आए। 2 दिनों में बेहद मामूली मतदान यहां किया गया। 1333 मतदाताओं में से पहले दिन जहां मात्र 15% यानी 205 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया तो वहीं दूसरी दिन तो संख्या बढ़ने की बजाय उसकी भी आधी हो गई। शनिवार को यहां मात्र 110 मतदाताओं ने वोट डाला। इस तरह कुल मिलाकर 315 मतदाताओं ने ही अपने मताधिकार का प्रयोग किया।

भले ही इस बार प्रदेश में 75% के करीब मतदान अब तक 4 लोकसभा सीटों के लिए हो चुका है। लेकिन जब बारी पुलिसकर्मियों की आई तो वे बेहद लापरवाह साबित हुए। केवल 23% के करीब मतदान पुलिसकर्मियों ने डाक मतपत्रों के माध्यम से किया है। हैरानी इस बात की है कि इन्हीं पुलिसकर्मियों के जिम्मे मतदान की सुरक्षा व्यवस्था है। जो पुलिसकर्मी खुद मतदान की प्रक्रिया को गंभीरता से नहीं लेते वे भला कैसे पूरी प्रक्रिया का गंभीरता से क्रियान्वयन कराएँगे। यह सोचने वाली बात है । जिला प्रशासन द्वारा आम आदमी को तो मतदान के लिए जागरूक किया गया लेकिन शासन प्रशासन अपने ही उन कर्मचारियों को जागरुक करना भूल गया जिनकी ड्यूटी चुनाव में लगाई गई है।