
भारतीय जनता पार्टी के पुराने विवादित नेता वीरेंदर पांडे ने स्वाभिमान पार्टी नाम से एक नई पार्टी बना ली है और इनका तर्क है कि वे बगैर चुनाव चिन्ह के ही चुनाव लड़ेंगे

बिलासपुर प्रवीर भट्टाचार्य
भाजपा से बाहर का रास्ता दिखा दिये गए या फिर पार्टी में महत्व ना मिलने वाले कुछ अति महत्वाकांक्षी नेताओं ने स्वाभिमान पार्टी नाम से नई पार्टी का गठन किया है। जो अब चुनाव मैदान में उतरकर भारतीय जनता पार्टी के वोट पर सेंध डालने की कोशिश कर रही है। इस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हैं भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विवादित विधायक और राज्य वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष वीरेंद्र पांडे ।इस बार उनकी पार्टी देश भर में करीब 20 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, लेकिन इन नेताओं द्वारा अजीबोगरीब और बेतुके तर्क दिए जा रहे हैं और इनका जो लक्ष्य बताया जा रहा है उसका ना तो देश के विकास, आम आदमी की तरक्की और लोकतंत्र से सीधा वास्ता है शनिवार को बिलासपुर पहुंचे वीरेंद्र पांडे ने पत्रकारों से चर्चा के दौरान सभी चुनावों में चुनाव चिन्ह की आवश्यकता पर सवाल उठाते हुए नए बहस को जन्म दिया है ।उनका दावा है कि चुनाव चिन्ह की वजह से पार्टियों को स्वाभाविक बढ़त मिलती है। वीरेंद्र पांडे कहते हैं कि भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था में चुनाव पार्टी नहीं व्यक्ति लड़ता है नई व्यवस्था में ईवीएम मशीन में पार्टी प्रत्याशी के फोटो अंकित होने के बाद चुनाव चिन्ह की कोई आवश्यकता नहीं है। ऐसा होने से वे लड़ाई को असमान मान रहे हैं। अपने तर्क को वजन देने के लिए उन्होंने निजामाबाद और बेलगांव का उदाहरण दिया जहां एक समय 185 और 3000 उम्मीदवार मैदान में थे।

स्वाभिमान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरेंद्र पांडे का दावा है कि चुनाव चिन्ह की वजह से लगातार शिकायत बढ़ती जा रही है। इस वजह से चुनाव आयोग और सरकार को अतिरिक्त खर्च करना पड़ रहा है ।अपने बेतुके तर्कों को नई ऊंचाई देते हुए वीरेंद्र पांडे यह कहते हैं कि कांग्रेस का चुनाव चिन्ह हाथ है और बूथ के भीतर चुनाव चिन्ह ले जाना वर्जित है तो क्या लोग अपना हाथ काट कर जाए। पत्रकारों से बातचीत के दौरान वीरेंद्र पांडे भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ आग उगलते नजर आए। स्वाभाविक है कि पार्टी से निकाले जाने के बाद उनके जैसे कुछ नेताओं में पार्टी को लेकर गहरा आक्रोश है, जिसे साफ-साफ उजागर करने की जगह लोकतंत्र और व्यवस्था के नाम पर अपने निजी हितों को आम मतदाताओं के कंधे पर बन्दुक रख कर चलाना चाह रहे हैं। 20 सीटों पर अनजान से चेहरों को उतार कर स्वाभिमान पार्टी किसी भी लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाएगी यह पार्टी के नेता भी जानते हैं। लेकिन यह पार्टी दूसरों का खेल बिगाड़ने ही मैदान में उतरी है। इस बात को ऐसे भी समझ सकते हैं कि अपनी ही पार्टी के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद करने वाले पूरनलाल छाबड़िया बिलासपुर से पार्टी के प्रत्याशी हैं, जो बातें तो बड़ी-बड़ी कर रहे हैं लेकिन उनका चुनावी घोषणा पत्र ,वहीं मतदाताओं को निकम्मा बनाने और खैरात बांटने की घोषणाओं से भरा पड़ा है। जाहिर है इन पार्टियों का उद्देश्य ना तो देश हित है और नहीं लोगों की परेशानियों से ही इनका कोई सरोकार है। यह तो सिर्फ अपनी महत्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए हर चुनाव में इसी तरह कुकुरमुत्तो की तरह उग आते हैं और चुनाव खत्म होते ही बरसाती मेंढक की तरह गायब हो जाते हैं जनता को भी समझना होगा कि ऐसे ढोंगी पार्टियों को वोट देकर वे अपने मताधिकार का दुरुपयोग करेंगे या फिर सक्षम उम्मीदवार को अपना वोट देंगे।

चुनाव के इस मौसम में ऐसे ना जाने कितने नए-नए परिंदे उड़कर आएंगे लेकिन इन बगुलो में हंस को पहचानना, मतदाताओं को ही होगा।