बिलासपुर

प्रोत्साहन का केवल नाम, हतोत्साहित करने नही छोड़ रहे कोई कसर….कोरोना वारीयर्स फिर भी डटे है युद्ध में… कोई तो ले सुध

भुवनेश्वर बंजारे

बिलासपुर – मानवता और कोरोना के बीच छीड़ी इस जंग में योद्धा के रूप में काम करने वाले फ्रंट लाइन के कोरोना वारियर्स को प्रोत्साहित करने स्वास्थ्य विभाग के आला अफसर रुची नही दिखा रहे है। बीते ढाई महीनों से 24 घन्टे ड्यूटी करने वाले इन वॉरियर्स की जितनी तारीफ की जाए वह कम है। लेकिन इन्हें प्रोत्साहित करने विभागीय निर्णय होने के बावजूद अब तक राशि का भुगतान ही नही किया गया है। जिससे मेडिकल स्टॉफ हतोत्साहित हो रहे है। जबकि 2 अप्रैल को तात्कालीन कलेक्टर और रेडक्रास सोसायटी ने आदेश जारी किया था, कि आइसोलेट, क्वारेंटाइन सेंटर, अस्पताल में संदेहियों के सैंपल लेने वाले डॉक्टर्स, पैथोलॉजिस्ट और टेक्निशियन को प्रति सैंपल पर 200 रुपए दिए जाएंगे। सैंपल पहुंचाने वाले ड्राइवर और अटेंडेंट को भी पैसे देने की बात कही थी। दो महीने बीत जाने के बाद भी इन कर्मचारियों को पैसे नहीं मिले हैं। जब कर्मचारियों ने अपने पैसों की मांग की तो उन्हें 10 मई तक के पैसे देने की बात अधिकारी ने कही लेकिन अभी तक किसी तरह के कोई पैसे नहीं दिए गए हैं। सीएमएचओ कार्यालय सहित पूरे जिले में मेडिकल लैब टेक्नीशियन(एमएलटी) सहित 50 रेगुलर और 30 संविदा कर्मचारी ऐसे हैं जो संदेहियों के सैंपल ले रहे हैं। अभी तक 11187 सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं। 200 रुपए प्रति सैंपल के हिसाब से 22 लाख 37 हजार 400 रुपए हैं, जो स्वास्थ्य विभाग में अटके हैं और कर्मचारियों तक नहीं पहुंचे हैं। इस हालात में ऐसे कर्मचारियों का काम करने का मनोबल गिर रहा है। जिसको लेकर जिले का स्वास्थ्य महकमा भी संजीदगी नही दिखा रहा है।

स्वास्थ्य विभाग के सौतेले व्यवहार के बावजूद,निभा रहे अपनी जिम्मेदारी..

जिले में कोरोना की पहली जांच पाँच मार्च को इटली से आई संदेही की हुई थी, जिसे अश्वनी नाम के एम एल टी ने ली थी। इसके बाद दूसरा सैंपल 23 मार्च को लिया गया। 27 मार्च को तीसरा और 3० मार्च को चौथा और फिर धीरे-धीरे संख्या हजारों में हो गई। अब यह आकड़ा 11187 तक पहुँच चुका है। इसके बावजूद जिले के सभी एमएलटी अपनी सेवाएं पूर्व से अब तक लगातार देते रहे है। इन असल कोरोना वॉरियर्स की माने तो उन्हें इस दौरान कई दिक़्क़तों का सामना भी करना पड़ता है, लेकिन वह अपनी जिम्मदारियों को कभी नही भूले, लेकिन अब तक उनके प्रति स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अफसरों का जो रैवये रहा है। वह उनके अंतर आत्मा को झकझोरने लगा है। इसके बाद भी अब तक प्रशासनिक अमले का ह्रदय विरल नही हो सका है। 

प्रथम पंक्ति के इन वॉरियर्स में अधिक्तर एमएलटीओ का बीमा तक नही है, इनकी जिम्मेदारी उठाने कोई तैयार नही..

स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक सीएमएचओ कार्यालय सहित पूरे जिले में 80 मेडिकल लैब टेक्नीशियन(एमएलटी) नियमित रूप से काम कर रहे हैं। जिनमे 30 कर्मचारी संविदा है। जो जिले के अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग समय तैनात रहते हैं। संदेहियों के तत्काल सैंपल लेते हैं। इसके बाद उन्हें रायपुर तक एंबुलेंस में पहुंचाते हैं। संक्रमण के इस खतरे के बीच वे नौकरी कर रहे हैं। जिन्हें शासन स्तर से भी 50 लाख का बीमा कवर नही दिया गया है और ना ही इसको लेकर कोई स्पष्ट निर्देश इन योद्धाओं को दिए गए है। अगर कोई अनहोनी घटना इनके बीच होती है तो इनकी जवाबदारी लेने वाला अभी कोई नही है। यह जानने के बाद भी वह अपनी जान हथेली पर लेकर मानवता को बचाने कवच बनकर खड़े है।

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