
गांव द्वारा बहिष्कृत परिवार डरा सहमा घर में ताला लगाकर अब दर-दर भटक रहा है
ठा.उदय सिंह,मल्हार
मस्तूरी-इन दिनों दुनिया भर में वेलेंटाइन वीक मनाया जा रहा है ।लोग प्यार मोहब्बत की कसमें खा रहे हैं। ऐसे में क्या आप यकीन भी कर सकते हैं कि प्यार करने की ऐसी सजा बेरहम समाज किसी को दे सकता है कि उसका परिवार अपना घर बार छोड़कर दर-दर भटकने को मजबूर हो। 21वीं सदी में यह यकीन करना नामुमकिन सा है कि किसी गांव में पंचायत किसी परिवार का सिर्फ इसलिए सामाजिक बहिष्कार करवा दें कि उसके परिवार में किसी ने अपनी जाति से बाहर प्रेम विवाह किया है, लेकिन यह बात बिल्कुल सच है। मस्तूरी विकासखंड के ग्राम खुडुभाठा में आज यह हकीकत है ।गांव के दबंग रसूखदारो को रास नहीं आया कि गांव का एक आम लड़का विद्रोह कर अंतर्जातीय प्रेम विवाह करें और उसे उन्हें स्वीकार करना पड़े।
दरअसल खुडुभाठा में रहने वाले मनोज पटेल ने साल 2016 में प्रतिमा चौहान से प्रेम विवाह किया था। प्यार मोहब्बत करने वालों के लिए जाति मायने नहीं रखती थी ,लेकिन गांव वालों के लिए यह नाक का सवाल था। मनोज अघरिया समाज से है तो वहीं पत्नी प्रतिमा चौहान गाड़ा जाति से। गांव वालों ने उसी वक्त इस प्रेम विवाह का विरोध किया था जिससे डरकर मनोज और प्रतिमा दिल्ली चले गए थे। वक्त गुजरा, परिवार वालों का भी गुस्सा शांत हुआ और दोनों के इस रिश्ते को परिवार वालों ने स्वीकार कर लिया। इसके बाद साल 2018 में दोनों अपने गांव खुडु भाठा लौट आए।लेकिन अंतर्जातीय प्रेम विवाह करने की वजह से गांव वालों के ताने का सामना उन्हें करना पड़ता था। पूरा परिवार इस परेशानी को झेल रहा था। जिससे बचने परिवार ने निर्णय लिया कि मनोज के बड़े भाई सुरेश पटेल के नाम लीज पर जो जमीन थी उसमें मकान बनाकर मनोज और प्रतिमा रहे। मनोज उस जमीन पर रहने के लिए मकान का निर्माण करा रहा था कि तभी गांव के सरपंच अश्विनी टोडे के साथ राजेश यादव गोविंद पटेल और अन्य लोगों ने दबंगई दिखाते हुए निर्माणाधीन मकान और उस की चारदीवारी को तोड़ दिया।
ऐसा करने से मना करने पर उन लोगों ने पूरे परिवार को जान से मारने की धमकी दी ।इतना ही नहीं गांव में सरपंच और अन्य लोगों ने पंचायत बुलाकर पटेल परिवार के बहिष्कार की घोषणा कर दी । पटेल परिवार का हुक्का पानी बंद करते हुए यह धमकी दी गई कि जो भी उनसे वास्ता रखेगा या उनके लिए काम करेगा उस पर 2000 रुपये का अर्थदंड लगाया जाएगा।
गांव में सरपंच से सब डरते हैं, उसकी हुकूमत चलती है, इसलिए उनके डर से लोगों ने पटेल परिवार का बहिष्कार करना शुरू कर दिया। गांव द्वारा बहिष्कृत परिवार डरा सहमा घर में ताला लगाकर अब दर-दर भटक रहा है । प्रतिमा पटेल के साथ मनोज पटेल, सुरेश पटेल और सास-ससुर कलेक्टर से लेकर पुलिस अधीक्षक तक के पास गुहार लगा चुके हैं लेकिन उन्हें किसी तरह की कोई मदद नहीं मिली है। उल्टे जब यह लोग मस्तूरी थाने में गुहार लगाने पहुंचे थे तो उन्हें उन्हीं के खिलाफ मामला दर्ज करने की धमकी देकर थाने से भगा दिया गया।
ऐसा ही एक मामला कुछ दिनों पहले शिवतराई में भी देखा गया था ,जहां सुनीता पोर्ते के परिवार का सामाजिक बहिष्कार कर उनकी ताई के मौत के बाद अंतिम संस्कार में शामिल होने भी कोई नहीं पहुंचा था। मामले के सुर्खियां बटोरने के बाद पुलिस ने खुद हस्तक्षेप कर अपनी दरियादिली दिखाई थी ,लेकिन इस मामले में रसूखदार सरपंच के आगे पुलिस भी बेबस नजर आ रही है।
हालांकि गांव में सामाजिक बहिष्कार की घोषणा करना कानूनन अपराध है लेकिन जो लोग खुद को कानून से ऊपर समझते हैं उन्हें कानून की कब परवाह है । सरपंच अश्वनी टोडे की धमकी की वजह से गांव का कोई भी व्यक्ति पटेल परिवार से बात तक नहीं कर रहा ,घर आना और उनकी मदद करना तो दूर की बात है। इस मामले में पटेल परिवार ने जिला विधिक न्यायालय, कलेक्टर और पुलिस तक से शिकायत कर ली है, लेकिन अब तक कोई नतीजा नहीं निकला है। इस मामले के मीडिया में पहुंचने के बाद खुद को बचाने के लिए सरपंच के लोग पटेल परिवार को फोन लगा कर अब गांव लौटने की बात कह रहे हैं लेकिन पटेल परिवार को अंदेशा है कि गांव बुलाकर उन पर जानलेवा हमला किया जाएगा इसलिए वे गांव लौटने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे। लिहाजा जरूरी है कि पुलिस और जिला प्रशासन इस मामले में हस्तक्षेप करें । इंसानियत को शर्मसार करती ऐसी घटनाएं आज भी भारतीय समाज को कलंकित कर रही है।