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कहा जा रहा है कि वार्डो के परिसीमन से भाजपा के पार्षद खफा है। लेकिन यह बात भी उतनी ही सच है कि इस परिसीमन से कांग्रेस के पार्षद भी खुश नहीं है । इस मामले में बिलासपुर विधायक शैलेश पांडे भी खुलकर सामने आ गए हैं। उन्होंने 4 लोगों द्वारा एक होटल के कमरे में बैठकर अपनी सुविधा अनुसार परिसीमन करने का आरोप लगाते हुए नाखुशी जाहिर की है । शैलेश पांडे ने तो साफ कह दिया कि इस रणनीति से कांग्रेस के कुछ पार्षद भले ही चुनाव जीत जाए लेकिन बहुमत नहीं होने से कांग्रेस का महापौर नहीं बन पाएगा। शायद वे पार्षदों द्वारा महापौर चयन होने की उम्मीद पाले बैठे थे, लेकिन महासमुंद में पत्रकारों से चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री ने इस उम्मीद को खारिज कर दिया । महासमुंद के कार्यक्रम में शामिल होने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे। इस दौरान किए गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि नगरीय निकाय चुनाव की व्यवस्था में किसी तरह का परिवर्तन नहीं किया जा रहा है। इस बार भी पार्षदों के द्वारा महापौर और नगर पालिका अध्यक्ष नहीं चुने जाएंगे । इस संबंध में सरकार कोई विचार नहीं कर रही। महापौर का चुनाव भी पहले की ही तरह प्रत्यक्ष रूप से होगा।

पिछले कुछ समय से कयास लगाया जा रहा था कि इस बार नगरीय निकायों में महापौर का चुनाव नहीं होगा बल्कि जीते हुए पार्षद बहुमत से महापौर चुनेंगे, जैसा कि पहले व्यवस्था हुआ करती थी। जल्द ही इसके एलान का इंतजार होने की बात भी कही जा रही थी, लेकिन मुख्यमंत्री ने इसका पटाक्षेप कर दिया है ।जाहिर है इस बार भी महापौर का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से होगा और एक बार फिर महापौर प्रत्याशी के लिए कई नाम सामने आएंगे। वैसे भी बिलासपुर में परिसीमन के बाद हालात बदल चुके हैं । मुमकिन है बिलासपुर शहर के बाहर से भी कुछ बड़े नाम महापौर पद के लिए उभरकर सामने आए। इतना तो जाहिर है परिसीमन के बाद क्षेत्रफल बढ़ने से परिणामों को लेकर ऊहापोह की स्थिति है और कोई भी यह कहने की स्थिति में नहीं है कि परिसीमन का लाभ कांग्रेस को होगा या भाजपा को।