
राजा मानसागर

गणेशोत्सव आगामी 2 सितम्बर को मनाया जाएगा। इसकी तैयारी जोर-शोर से की जा रही है। मूर्तिकार प्रतिमाओं को आकार दे रहे हैं। छोटी-बड़ी अनेक आकार में भगवान गणेश की प्रतिमाएं तैयार की जा रही हैं। बाल गणेश, कृष्ण के रूप में गणेश, स्कूल जाते गणेश, पौधे लगाते भगवान गणेश, सिंहासन में विराजमान गणेश जैसे कई रूप में भगवान गणेश की प्रतिमाओं को आकार दिया जा रहा है।इमलीपारा, कुम्हारपारा, चिंगराजपारा, लिंगियाड़ीह, मिशन अस्तपाल के सामने, तोरवा, मंगला, उस्लापुर सहित कई क्षेत्रों में मूर्तिकार भगवान गणेश की प्रतिमाएं पिछले तीन माह से बनाने में जुटे हैं। मूर्तिकार अजय ने बताया कि गणेशोत्सव की तैयारी तो मूर्तिकार चार-पांच महीने पहले से ही करते हैं। सबसे पहले मूर्ति के लिए ढ़ाचा तैयार करते हैं। इसके बाद मिट्टी से प्रतिमाओं को आकार देने के बाद सुखाया जाता है। बाद में रंग लगाकर वस्त्राभूषण से सजाया जाता है। इन सब काम को करने में बहुत दिन लगते हैं। इसलिए तैयार पहले से ही शुरू की जाती है। अभी भगवान की प्रतिमाओं को आकार देने के बाद रंगने का कार्य शुरू किया गया है।

अजय मूर्तिकार ने बताया कि गणपति की प्रतिमाएं सबसे अधिक स्थापित की जाती है लेकिन उसमें छोटे आकार की प्रतिमाएं सबसे ज्यादा शामिल होती हैं। घरों में ज्यादातर लोग छोटी प्रतिमाएं ही स्थापित करते हैं, इसलिए गणपति के छोटे आकार की प्रतिमाओं की डिमांड अधिक है। उन्होंने बताया पीओपी प्रतिमाओं को पूजा के लिए गलत है। उन्होंने कहा कि पूजा में मिट्टी की प्रतिमाएं ही उपयुक्त होती है। इसलिए उसकी पूजा करना उत्तम व पुण्यकारी होता है। खोखली मूर्ति की पूजा करना शास्त्रों में वर्जित बताया गया है।
