
लाल खदान रेलवे फाटक पर बना रेलवे ओवरब्रिज पूरी तरह बनकर तैयार है ।30 करोड़ की लागत से बने इस पुल को पीडब्ल्यूडी सेतू संभाग की ओर से हरी झंडी दिखा दी गई है जिसके बाद इसके औपचारिक शुभारंभ का इंतजार है
सत्याग्रह डेस्क
आखिरकार लंबे इंतजार के बाद लाल खदान रेलवे ओवर ब्रिज बनकर तैयार हो चुका है । बिलासपुर से जांजगीर चांपा की ओर जाने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 200 में लाल खदान रेलवे फाटक बड़ी बाधा थी। इसलिए लंबे वक्त से यहां इस ओवरब्रिज की मांग की जा रही थी ।आखिरकार 21 फरवरी 2013 को इसके लिए स्वीकृति मिली ।उस वक्त केवल 20 महीने में ब्रिज के तैयार होने के दावे किए गए थे लेकिन काम अटक अटक कर 2019 में जाकर पूरा हुआ। देर आए दुरुस्त आए की तर्ज पर लोग अब इस ओवरब्रिज के बन जाने से बेहद खुश नजर आ रहे हैं, नहीं तो इससे पहले अति व्यस्त रेलवे लाइन होने की वजह से लाल खदान फाटक पर लोगों को लंबा इंतजार करना पड़ता था । दुपहिया वाहन सवार फिर भी बाईपास के अंडर ब्रिज से आना जाना कर लेते थे लेकिन बड़े वाहनों को तो फाटक पर इंतजार करना ही पड़ता था। 2013 में 12.5 करोड़ की लागत से 818.07 मीटर लंबे और 12 मीटर चौड़े जिस निर्माण कार्य की स्वीकृति मिली थी उसे 2014 में शुरू किया गया। वैसे तो पुल को मार्च 2016 तक मुकम्मल हो जाना चाहिए था लेकिन काम करीब 3 साल पिछड़ गया । रेलवे और राज्य शासन के बीच तालमेल ना होने को भी इसकी बड़ी वजह माना जा सकता है। कई बार निर्माण के पूरा होने का समय बदला। निर्माण एजेंसी भी बदले गए। उसके बाद ठेकेदार ने 31 दिसंबर 2018 तक निर्माण पूरा कर आर ओ बी शासन को हैंडओवर करने की बात कही थी लेकिन डामरीकरण और बिजली की व्यवस्था ना होने से यह ना हो पाया। कुछ महीने पहले दुपहिया वाहन सवार पुल से आना जाना आरम्भ भी कर चुके थे लेकिन फिर मिट्टी के ढेर लगाकर बाइक सवार और अन्य लोगों की आवाजाही रोक दी गई। फिलहाल पूरी तरह निर्मित इस लाल खदान ओवरब्रिज का व्यू काफी शानदार नजर आ रहा है और इसके बन जाने से लोगों में उत्साह भी अपार है ।
बिलासपुर शहर तेजी से विकसित हो रहा है ।चाहे वह उसलापुर का क्षेत्र हो, सिरगिट्टी का या फिर सरकंडा का। लेकिन उस तुलना में देवरीखुर्द चौक के आगे विकास ठहर गया है। विकास की गति लाल खदान क्षेत्र की ओर अपेक्षाकृत धीमी नजर आ रही है। इसके पीछे इस रेलवे फाटक को सबसे बड़ी बाधा माना जा सकता है ,लिहाजा अब ओवरब्रिज के बन जाने से उम्मीद की जा रही है कि यहां विकास तेजी पकड़ेगा और यहां भी कई फ्लैट और व्यापारिक संस्थान स्थापित होंगे । वैसे लाल खदान ओवरब्रिज के उस पार शैक्षणिक संस्थानों की बड़ी संख्या है जिनके लिए भी यह ओवरब्रिज वरदान साबित होगा। वैसे लोगों को यह मलाल भी है कि जो सुविधा उन्हें 3 साल मिल सकती थी वह रेलवे और पीडब्ल्यूडी विभाग की लापरवाही की वजह से नहीं मिल पा रहा।
फिलहाल लाल खदान ओवरब्रिज बनकर पूरी तरह तैयार है और उम्मीद की जा रही है कि आदर्श आचार संहिता समाप्त होने के बाद अब जून के महीने में कभी भी इसका औपचारिक शुभारंभ हो सकता है। पुल की शुरुआती लागत 12.50 करोड़ रुपए थी जो बढ़ते बढ़ते 30 करोड़ तक जा पहुंची है । काम में लगातार विलंब होने के चलते ठेकेदार की लागत बढ़ती चली गई, वही पोल शिफ्टिंग, मुआवजा जैसे कार्यों की वजह से भी लागत बढ़ी है। फिलहाल पीडब्ल्यूडी सेतु विभाग ने पुल को लेकर हरी झंडी दे दी है ।
इस पुल का निर्माण रायपुर के ठेकेदार गोवर्धन दास गोविंदराव की फर्म ने किया है। उम्मीद की जा रही है कि यह पुल बिलासपुर शहर और लाल खदान के बीच थमी विकास को गति देगा। अब सबको इंतजार उस वक्त का है जब विधिवत इसका शुभारंभ होगा। वैसे फिलहाल पुल के ऊपर से दुपहिया वाहनों की आवाजाही आरंभ हो चुकी है ।अपुष्ट सूत्रों की माने तो जून के पहले सप्ताह में पुल का औपचारिक शुभारंभ संभव है ।