
रमेश राजपूत
बिलासपुर – थाना सरकंडा पुलिस ने अपोलो अस्पताल के एक पूर्व हृदय रोग विशेषज्ञ, नरेन्द्र विक्रमादित्य यादव उर्फ नरेन्द्र जान केम, और अपोलो अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया है। यह कार्रवाई प्रार्थी डॉ. प्रदीप शुक्ला की शिकायत पर की गई है, जिनके पिता, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्वर्गीय पंडित राजेन्द्र प्रसाद शुक्ला, का वर्ष 2006 में अपोलो अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया था। पुलिस ने आरोपी डॉक्टर और अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या), 34 (सामान्य आशय), 420 (धोखाधड़ी), 465 (कूटरचना), 466 (न्यायिक कार्यवाही के अभिलेख या लोक रजिस्टर की कूटरचना), 468 (धोखाधड़ी के प्रयोजन के लिए कूटरचना), और 471 (कूटरचित दस्तावेज को असली के रूप में उपयोग करना) के तहत मामला दर्ज किया है।
डॉ. प्रदीप शुक्ला ने अपनी शिकायत में बताया था कि उनके पिता को मामूली दिल का दौरा पड़ने पर अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां डॉ. नरेन्द्र विक्रमादित्य यादव ने उनकी एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी की। तबीयत बिगड़ने पर उन्हें 18 दिनों तक आईसीयू में वेंटिलेटर पर रखा गया और 20 अगस्त 2006 को उनका निधन हो गया। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि अपोलो अस्पताल प्रबंधन ने उस समय मामले को दबा दिया था। हाल ही में समाचार पत्रों के माध्यम से उन्हें पता चला कि डॉ. नरेन्द्र विक्रमादित्य यादव, जो पहले अपोलो अस्पताल में कार्यरत थे और वर्तमान में मिशन अस्पताल दमोह में डॉ. नरेन्द्र जान केम के नाम से कार्यरत हैं, के पास हृदय रोग विशेषज्ञ की फर्जी डिग्री है और दमोह में भी उनकी लापरवाही से मरीजों की मौत हुई है, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया है। जांच के दौरान, पुलिस ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी बिलासपुर, अपोलो अस्पताल प्रबंधन और पुलिस अधीक्षक दमोह से जानकारी मांगी थी। अपोलो अस्पताल प्रबंधन ने अपने जवाब में बताया कि स्वर्गीय पंडित राजेन्द्र प्रसाद शुक्ला का उनके अस्पताल में कई बार इलाज हुआ था और 21 जुलाई 2006 को उन्हें फिर से भर्ती किया गया था, जहां विभिन्न विभागों के डॉक्टरों ने उनका इलाज किया और कार्डियक प्रक्रिया की गई थी। अस्पताल ने बताया कि डॉ. नरेन्द्र विक्रमादित्य यादव 1 जून 2006 से 31 मार्च 2007 तक उनके यहां कार्यरत थे और उन्होंने अपनी शैक्षणिक योग्यताएं भी बताई थीं। हालांकि, अस्पताल प्रबंधन डॉक्टर की विशेषज्ञता और मेडिकल काउंसिल में पंजीकरण संबंधी कोई प्रमाणिक दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर सका, केवल एक बायोडाटा उपलब्ध कराया गया। वहीं, पुलिस अधीक्षक दमोह ने बताया कि डॉ. नरेन्द्र जान केम के खिलाफ वहां धोखाधड़ी और अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। उनके द्वारा प्रस्तुत शैक्षणिक दस्तावेजों में भी विसंगतियां पाई गईं हैं और आंध्रप्रदेश मेडिकल काउंसिल में उनका नाम पंजीकृत नहीं है। पुलिस जांच में पाया गया कि आरोपी डॉ. नरेन्द्र विक्रमादित्य यादव हृदय रोग विशेषज्ञ नहीं थे और न ही उनका मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया या छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल में पंजीकरण था। इसके बावजूद उन्होंने धोखाधड़ी कर अपोलो अस्पताल में हृदय रोग विशेषज्ञ के रूप में काम किया और स्वर्गीय पंडित राजेन्द्र प्रसाद शुक्ला का इलाज किया। पुलिस का मानना है कि यह मामला चिकित्सकीय लापरवाही का नहीं, बल्कि आपराधिक मानव वध का है। अपोलो अस्पताल प्रबंधन पर भी आरोप है कि उन्होंने डॉ. नरेन्द्र विक्रमादित्य यादव की विशेषज्ञता और पंजीकरण की ठीक से जांच नहीं की और उन्हें हृदय रोग विशेषज्ञ के रूप में नियुक्त कर मरीजों का इलाज करने दिया, जिससे वे भी इस मामले में सह-आरोपी हैं। थाना सरकंडा पुलिस ने प्रार्थी की शिकायत पर मामला दर्ज कर आगे की विवेचना शुरू कर दी है। इस घटना ने चिकित्सा क्षेत्र में फर्जी डॉक्टरों और अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के गंभीर मुद्दे को उजागर किया है।