प्रवीर भट्टाचार्य
पुरानी कहावत है कि जब गीदड़ की मौत आती है तो वह शहर की ओर भागता है लेकिन इस बार शहर की ओर भागने वाला गीदड़ नहीं एक हिरण था । जंगलों में पानी के स्रोत पूरी तरह सूख चुके हैं। बूंद बूंद पानी को तरसते जानवर अब पानी की तलाश में शहर का रुख कर रहे हैं ।पानी के लिए जंगल से भटक कर शहरी इलाके में पहुंचे एक हिरण को देखकर कुत्तों ने उसका पीछा किया तो कुत्तों से बचने के लिए भागता हिरण मोपका विवेकानंद नगर के टीचर्स कॉलोनी में जा पहुंचा। यहां मनोरंजन चक्रवर्ती के मकान का निर्माण कार्य चल रहा है। घर के बाहर सेप्टिक टैंक मौजूद है। कुत्तों से बचने, भागता हिरण इसी निर्माणाधीन मकान के सेप्टिक टैंक में जा गिरा। सेप्टिक टैंक की गहराई अधिक होने की वजह से हिरण उसमे फंस गया और निकलने छटपटाने लगा। जब मकान मालिक मनोरंजन चक्रवर्ती ने अपने घर के सेफ्टी टैंक में एक हिरण को देखा तो उनकी आंखें भी हैरानी से फैल गई।
उन्होंने पहले तो हिरण को बाहर निकालने की कोशिश की, लेकिन फिर नाकाम होने पर उन्होंने इसकी सूचना वन विभाग को दे दी। वन विभाग का अमला भी मौके पर पहुंच गया और किसी तरह किरण को टैंक से सुरक्षित बाहर निकालने में कामयाब हुआ। बेहद डरे सहमे से हिरण को वन विभाग ने वापस जंगल में छोड़ दिया लेकिन जिस तरह जंगल में इस वर्ष पानी की किल्लत है उस वजह से जानवर बार-बार शहर की ओर पानी की तलाश में पहुंच रहे हैं। जिनकी जान को खतरा भी है ,इसलिए छोड़ा गया हिरन वापस शहर की ओर नहीं आएगा यह कह पाना मुश्किल है। शहरी इलाके में जानवरों की घुसपैठ असल में इंसानों का उनके इलाके में किए गए घुसपैठ का ही परिणाम है। शहरी इलाके में ही पानी की भारी किल्लत है, जिससे जिला प्रशासन किसी तरह निपट रहा है, लेकिन जंगलों के हालात बेहद खराब है । वहां जानवर बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं और वहां उन्हें पानी उपलब्ध कराने ना तो कोई टैंकर पहुंच रहा है और ना ही किसी बोर की गहरी खुदाई की जा रही है। इस वर्ष गर्मी में या तो जंगल में मौजूद जानवर मर जाएंगे या फिर यहां के जंगलों से पलायन कर जाएंगे । यह बड़ी भयावह स्थिति है।