
भुवनेश्वर बंजारे
बिलासपुर – शनिवार को कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन सिम्स हॉस्पिटल में रखा गया था। सिम्स के बायोकेमेस्ट्री लेक्चर हाल में अपनी आयोजित इस कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में सिम्स के अधिष्ठाता डॉ. रमनेश मूर्ति , विशिष्ट अतिथि के रूप में अधीक्षक डॉ. लखन सिंह, वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. भूपेंद्र कश्यप, , डॉ आरती पांडे और डॉ. चंद्रहास ध्रुव के साथ सिम्स के छात्राएं और कर्मचारीगण उपस्थित रहे।
इस दौरान जानकारी देते हुए बताया गया कि यह अधिनियम भारत में महिलाओं को कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से बनाया गया था। विशिष्ट अतिथि अधिवक्ता रीता राजगीर ने अधिनियम की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए अधिनियम के उद्देश्य और, कार्यस्थल को महिलाओं के लिए सुरक्षित बनाने के संबंध में जानकारी प्रदान की, इसी बीच अध्यक्ष डॉ आरती पांडे ने विषय विवरण, लाभार्थी कर्मचारियों के प्रकार जैसे महिला कर्मचारी,कार्यस्थल का अर्थ कार्यालय, फैक्ट्री, स्कूल, अस्पताल, एनजीओ वाहन में सफर, वर्क फ्रॉम होम आदि के विषय में अपना वक्तव्य रखा।
इस दौरान बताया गया कि POSH Act 2013 कार्यस्थल पर महिलाओं को एक सुरक्षित, गरिमामय एवं शोषण-मुक्त वातावरण प्रदान करने का सशक्त कानूनी उपाय है। कार्यक्रम में अन्य सदस्य डॉक्टर रश्मि गुप्ता, डॉक्टर शिक्षा जांगड़े, डॉक्टर मधुमिता मूर्ति , डॉ नायक, प्रशांत निगम डॉ जोगी ,डॉक्टर हेमलता उपस्थित रहे कार्यशाला में यौन उत्पीड़न की परिभाषा और प्रकार की संक्षिप्त जानकारी देते हुए बताया गया कि किसी महिला के विरुद्ध कोई भी निम्नलिखित कृत्य यौन उत्पीड़न माना जाता है।
1- अनुचित या अशोभनीय टिप्पणियाँ।
2- आपत्तिजनक इशारे या चित्र दिखाना।
3- शारीरिक छेड़छाड़ या संपर्क।
4- यौन प्रस्ताव देना।
5- डराना, धमकाना या ब्लैकमेल करना।