
भुवनेश्वर बंजारे
बिलासपुर – 12 सालो से गंभीर बिमारी से जूझ रही 64 वर्षीय महिला को सिम्स के डॉक्टरों ने नया जीवन दान दिया है। मिली जानकारी के अनुसार पूर्व में सिम्स हॉस्पिटल में 64 वर्षीय महिला, जो पिछले 12 वर्षों से गर्दन में सूजन, निगलने में कठिनाई और आगे झुकने में परेशानी जैसी समस्याओं से जूझ रही थीं। उसी समस्या के लिए पहुंची थी। जहा महिला के गर्दन की सूजन हर दिन बढ़ रहा थी। जिसको लेकर प्रांरभिक जांच के बाद थायरॉयडक्टॉमी करने का निर्णय लिया गया। जहा डॉ. आरती पांडे (प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, ईएनटी विभाग) और डॉ. वी. बी. साहू (एसोसिएट प्रोफेसर, ईएनटी), जिनके मार्गदर्शन में डॉ. श्वेता मित्तल (सहायक प्राध्यापक, ईएनटी), डॉ. ज्योति वर्मा (सीनियर रेजिडेंट, ईएनटी) और पीजी रेजिडेंट्स ने मिलकर थायरॉयडक्टॉमी (पूर्ण थायरॉयड ग्रंथि निष्कासन सर्जरी) को सफलता पूर्वक संपन्न किया। हॉस्पिटल प्रबंधन के अनुसार एनेस्थीसिया विभाग की टीम, जिसने मरीज की आयु और जटिल स्थिति के बावजूद बेहतरीन पूर्व एनेस्थेटिक मूल्यांकन एवं देखभाल सुनिश्चित की।
यह प्रक्रिया डॉ. मधुमिता मूर्ति (प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, एनेस्थीसिया, क्रिटिकल केयर एवं पेन मेडिसिन) के मार्गदर्शन में संपन्न हुई।डॉ. मिल्टन डेबबर्मा (एसोसिएट प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, एनेस्थीसिया, क्रिटिकल केयर एवं पेन मेडिसिन) ने मरीज को सफलतापूर्वक प्री-एनेस्थेटिक फिटनेस प्रदान की और उनके नाक द्वारा इंटुबेशन की प्रक्रिया को सावधानीपूर्वक अंजाम दिया। ऑपरेशन के उपरांत, मरीज की गहन देखभाल एनेस्थीसिया इंटेंसिव केयर यूनिट (AICU) में की गई, जहाँ डॉ. मिल्टन डेबबर्मा ने पूरी जिम्मेदारी के साथ मरीज की देखरेख की और उनकी स्थिति को स्थिर किया। यह ऑपरेशन नर्सिंग स्टाफ, स्टाफ नर्स मीना निराला और स्टाफ नर्स अश्विनी मिश्रा द्वारा दिए गए उत्कृष्ट सहयोग के बिना संभव नहीं होता। ऑपरेशन के बाद मरीज की स्थिति संतोषजनक थी और उसकी आवाज में कोई परिवर्तन नहीं आया, जो इस ऑपरेशन की एक सामान्य जटिलता है। यह सफलता चिकित्सा विज्ञान में समर्पण, अनुभव और सामूहिक प्रयास का उत्तम उदाहरण है। बिलासपुर वासियों के लिए यह एक सुकूनदायक संदेश है कि शहर में जटिल चिकित्सा सेवाएं अब कुशल हाथों में उपलब्ध हैं।