प्रवीर भट्टाचार्य

प्रकृति का असंतुलन ही सभी समस्याओं की जड़ है। इंसानी लालच ने दुनिया पर कब्जा जमाने का ऐसा घृणित खेल खेलना शुरू किया, जिसमें प्रकृति के दूसरे हिस्से धीरे-धीरे हाशिए पर चले गए । शहर बनाने के लिए जंगलों को बेतहाशा काटा गया। जल स्रोतों का अपने ही स्वार्थ के लिए अधिकार से अधिक उपयोग हुआ। पशु पक्षियों को दोयम दर्जे का मान कर उन्हें अपने समाज से खदेड़ने का प्रयास हुआ। यही वजह है कि हमारे आस-पास कि वह खूबसूरती धीरे-धीरे हमसे रूठ गई जिसके चलते पृथ्वी इतनी सुंदर हुआ करती थी । हमारे साथी रहे परिंदे अब हमारे आसपास नजर नहीं आते । दुनिया में करीब 9,900 प्रजातियां पक्षियों की हुआ करती थी, लेकिन धीरे-धीरे पक्षियों की प्रजाति विलुप्त हो रही है ।

हमारे घर के आस-पास आसानी से दिखने वाले परिंदे भी अब दुर्लभ हो चुके हैं। आखिर परिंदे हमसे क्यों रूठे , यह जानने का समय और इच्छा भी हमारे पास नहीं है। हमने उनके प्राकृतिक आवास के साथ इस कदर छेड़छाड़ की है जिसके कारण उनका अस्तित्व ही संकट में आ गया है। अपनी सुरक्षा के लिए या तो परिंदे पलायन कर गए या फिर उनकी प्रजाति अब समाप्त प्रायः है। शहरी परिवेश से परिंदों का मोह भंग हो चुका है। अब हमारे घर के आस-पास चिड़िया नजर नहीं आती। इंसानों से उनकी बढ़ती दूरियां चिंता का विषय है। हमने प्रकृति के सभी संसाधनों पर अपना हक जमा रखा है। हम प्रकृति के अन्य जीवो के साथ संसाधनों का उचित बंटवारा नहीं करना चाहते, इसीलिए परिंदे हमसे नाराज हैं।

कभी शिकारी तो कभी हवा में घुलते विषैले तत्व, मोबाइल टावर के रेडिएशन और खेतों में डाले जाने वाले जहरीले रसायन परिंदों का शिकार कर रहे है। विश्व पर्यावरण दिवस पर प्रकृति की चिंता के साथ प्रकृति के अन्य जीवो की चिंता भी करने की जरूरत है। इसी मुद्दे पर संवेदनशील पत्रकार और वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर वी वी रमन किरण ने अपने अनोखे अंदाज़ से परिंदों की लड़ाई के लिए सब का ध्यान अपनी और खींचा है।परिंदों की आवाज बुलंद करते हुए रमन किरण ने विश्व पर्यावरण दिवस पर एकदिवसीय सांकेतिक धरना नेहरू चौक पर दिया।

उनके अभियान में साथ देने बिलासपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष और पत्रकारों के साथ राजनीतिक जगत के कुछ चेहरे और बुद्धिजीवी भी पहुंचे । सुबह 10:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक सांकेतिक धरने पर बैठे प्रकृति प्रेमी रमन किरण का आरोप है कि बिलासपुर के पास बेलमुंडी में पक्षियों का स्वाभाविक बसेरा हुआ करता था। जहां हर वर्ष प्रवासी पक्षी बड़ी संख्या में आया करते थे । उनके कलरव् सुनने और करतब देखने लोगों की भीड़ जुटा करती थी। यह नज़ारे माननीय जीवन में रस घोला करते थे, लेकिन अब बेलमुंडी में प्रवासी पक्षी नहीं आते , क्योंकि यहां प्रकृति के साथ की गई छेड़छाड़ से परिंदे रूठ गए हैं। दरअसल बेलमुंडी क्षेत्र में अवैध उत्खनन से जल स्रोत सूख चुके हैं । जिन लंबी-लंबी घासों की वजह से गुलाबी मैना आया करती थी उन्हें भी क्षति पहुंचाया गया है। शासन-प्रशासन को परिंदों के प्राकृतिक निवास से कोई सरोकार नहीं है, इसलिए इस दिशा में ध्यान खींचने रमन किरण ने अपने अंदाज में धरना दिया और प्रशासन से अपील की, कि वे पक्षियों के प्राकृतिक आवास् को सहेजने का प्रयास करें ताकि बेलमुंडी में प्रवासी पक्षियों का फिर से आगमन हो और बेलमुंडी भी बर्ड सेंचुरी का आकार ले सके।
इंसान कितनी भी तरक्की कर ले लेकिन जब तक उनके आसपास प्रकृति के सबसे खूबसूरत तोहफे परिंदे ना हो तो फिर उनकी कमी हमेशा खलती रहेगी। इसलिए रमन किरण के इस धरना प्रदर्शन को गंभीरता से लेने की जरूरत है।