
जिस तरह से उन्हें निगम आयुक्त प्रभाकर पांडे को यह कहना पड़ा कि वे विधायक के साथ सहयोग करें, इसी से यह समझा जा सकता है कि निगम पर उनकी कितनी पकड़ है
बिलासपुर प्रवीर भट्टाचार्य
बिलासपुर-सत्ता बदलने के साथ निगम और राज्य शासन के जनप्रतिनिधियों के बीच लगातार टकराव की स्थिति नजर आ रही है ।अभी भी बिलासपुर नगर निगम में भाजपा का कब्जा है और शहर के विधायक कांग्रेस से होने की वजह से विकास कार्यों में दखल को लेकर आए दिन विवाद की स्थिति पैदा हो रही है। हाल ही में विधायक शैलेश पांडे ने निगम के अधिकारियों की बैठक ली थी उस पर भी महापौर ने आपत्ति जताते हुए कहा था कि उनकी सहमति और उन्हें सूचित किए बगैर इस तरह की बैठक विधायक को नहीं लेनी चाहिए। सूत्रों से यह भी पता चला कि खुद मुख्यमंत्री द्वारा निगम अधिकारियों को यह आदेश मिला है कि वह बिलासपुर विधायक को अधिकतम गंभीरता से ना ले और मुख्यमंत्री दफ्तर से मिले आदेशों का ही पालन करें ना कि विधायक के। इस बात की पुष्टि गुरुवार को तब भी हो गई जब एक बार फिर बिलासपुर विधायक शैलेश पांडे निगम अधिकारियों की बैठक लेने पहुंचे ।इस बारे में पूर्व से सूचित किया गया था और बैठक तय थी फिर भी विकास भवन पहुंचकर विधायक को नगर निगम आयुक्त का लंबा इंतजार करना पड़ा इससे विधायक शैलेश पांडे काफी नाराज नजर आए ।उन्होंने साफ कह दिया कि अगर निगमायुक्त को नहीं आना है तो वे ये स्पष्ट कह सकते हैं। इस नाराजगी के बीच बैठक शुरू हुई। शैलेश पांडे ने आगामी ग्रीष्म ऋतु में शहर में संभावित आसन्न जल संकट पर चर्चा करते हुए जानकारी लेनी चाही कि जल संकट से निपटने के लिए क्या इंतजाम किए जा रहे हैं। पिछले साल गर्मी के महीने में बिलासपुर में भारी जल संकट का सामना लोगों को करना पड़ा था ।आशंका है कि इस साल भी मार्च के बाद से ही जल संकट की स्थिति उत्पन्न होगी, जिसे देखते हुए बिलासपुर विधायक ने निगमायुक्त प्रभाकर पांडे को बिलासपुर में जलापूर्ति की उचित व्यवस्था करने निर्देशित किया। यहाँ उन्होंने जानना चाहा कि बिलासपुर में जल आपूर्ति के लिए कितनी पानी टंकीया है ,कितने बोर के माध्यम से पानी की सप्लाई की जा रही है और गर्मी के मौसम में उनकी क्या स्थिति होगी। गर्मी के दिनों में बोर सूखने की स्थिति में उनसे निपटने का क्या इंतजाम है इस संबंध में भी विधायक ने पूछा ।इस बैठक में केवल कांग्रेस के ही पार्षद मौजूद थे, जिन्होंने वार्डों में होने वाली समस्याओं का जिक्र छेड़ा और यह आरोप लगाया कि उनके वार्डों में खास ध्यान नहीं दिया जा रहा ।अधिकांश वार्डों में साफ सफाई सही ढंग से नहीं होने की शिकायत की गई ।सफाई ठेकेदारों द्वारा कांग्रेसी पार्षदों की अनदेखी कर नाली और सड़क की सफाई नहीं करने की जानकारी दी गई ।इस बैठक में अटल आवास के आवंटन में हो रही गड़बड़ियों पर भी चर्चा हुई।
बैठक में भले ही विधायक शैलेश पांडे पार्षदों को समस्या का निराकरण होने का आश्वासन देते नजर आए लेकिन जिस तरह से उन्हें निगम आयुक्त प्रभाकर पांडे को यह कहना पड़ा कि वे विधायक के साथ सहयोग करें, इसी से यह समझा जा सकता है कि निगम पर उनकी कितनी पकड़ है। उनके पास कोई पोर्टफोलियो ना होने और शासन से भी खास सहयोग ना मिलने से निगम में उनकी बात गंभीरता से नहीं सुनी जा रही। अक्सर विधायक अपना यह दुखड़ा अपनों के बीच सुनाते भी देखे गए हैं ।नगर निगम विधायक के बीच के रिश्ते को इस बात से भी समझा जा सकता है कि गुरुवार को उन्होंने जो बैठक बुलाई उससे सभी भाजपा पार्षदों ने दूरी बनाए रखी। एक भी भाजपा पार्षद उनके साथ बैठक के लिए नहीं पहुंचा। यहां तक कि विकास भवन में मौजूद रहने के बाद भी महापौर किशोर राय विधायक के इस बैठक में शामिल नहीं हुए ,जब महापौर से इस संबंध में सत्याग्रह डॉट इन ने पूछा तो महापौर ने साफ तौर पर कह दिया कि उन्हें इस बैठक के लिए आमंत्रित ही नहीं किया गया था ऐसे में वे कैसे शामिल होते। शैलेश पांडे भले ही बिलासपुर के विधायक बन चुके हो लेकिन भाजपा के पार्षद और निगम के महापौर भी उन्हें खास तवज्जो नहीं दे रहे ।इससे पहले शहर विधायक की एक आवाज पर भागे भागे जाने वाले महापौर और पार्षद मौजूदा विधायक की जरा भी परवाह नहीं कर रहे इससे निश्चित तौर पर प्रशासनिक गतिरोध उत्पन्न हो रहा है जो शहर विकास के लिए किसी भी लिहाज से ठीक नहीं है।