प्रवीर भट्टाचार्य
सोमवार को देव स्नान पूर्णिमा मनाया गया। जेष्ठ मास की इस पूर्णिमा का संबंध जगन्नाथ महाप्रभु से है। रथ यात्रा से पहले मनाए जाने वाले इस पर्व में भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा के साथ अत्यधिक स्नान करने के कारण बीमार पड़ गए हैं । बिलासपुर के रेलवे क्षेत्र स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर में भी देव स्नान पूर्णिमा का पर्व पूरे उल्लास के साथ मनाया गया। सुबह वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की प्रतिमाओं को मंदिर के गर्भ गृह से बाहर लाकर स्नान मंडप में स्थापित किया गया। यहां स्नान मंडप के परिसर में बने सुना कुआं अर्थात सोने के कुए से 108 कलश पवित्र जल निकाल कर उन्हें विशेष मंत्रोचार के साथ अभिमंत्रित किया गया। पुजारी द्वारा 108 घड़ो के जल में हल्दी, अक्षत, चंदन ,पुष्प सुगंधी आदि से जल को पवित्र किया गया, जिसके पश्चात 108 घड़ों के जल से मंडप में स्थापित भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा का जलाभिषेक किया गया।
इस जलाभिषेक के पश्चात भगवान जगन्नाथ और बलभद्र को हाथी के भेष वाले पोशाकों से सुसज्जित किया गया तो वहीं बहन सुभद्रा को कमल वाले पोशाक पहनाए गए ,
लेकिन स्नान पूर्णिमा पर अत्यधिक स्नान करने के कारण भगवान जगन्नाथ ,बलभद्र और देवी सुभद्रा बीमार पड़ गए हैं । अब वे अगले 15 दिनों तक एकांतवास पर रहेंगे । इन 15 दिनों में उनकी पूजा-अर्चना भी नहीं होगी और मंदिर के कपाट भी बंद रहेंगे ।
इस दौरान जहां तीनों को विशेष आहार दिया जाएगा वही ज्वर के उपचार के लिए दवाएं और काढा भी दी जायेगी। 15 दिनों तक एकांतवास के बाद भगवान जगन्नाथ बलभद्र और देवी सुभद्रा अपने भक्तों को दर्शन देने उनके बीच रथ यात्रा के माध्यम से पहुंचेंगे। अपनी मौसी गुंडिचा देवी के पास आतिथ्य ग्रहण करने तीनों रथ यात्रा के माध्यम से निकलेंगे। इससे पहले 3 जुलाई को अंतिम सिंगार के रूप में नेत्र उत्सव संपन्न होगा । इस वर्ष 4 जुलाई को विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा रेलवे क्षेत्र के जगन्नाथ मंदिर से भी निकाली जाएगी।
सोमवार को स्नान पूर्णिमा अवसर पर भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर पहुंचे। अब सभी को नेत्र उत्सव की प्रतीक्षा है, जिसके बाद भगवान जगन्नाथ रथ पर सवार होकर मौसी मां के मंदिर पहुंचेंगे। बिलासपुर में भी रथ यात्रा को लेकर विशेष तैयारियां की जा रही है।