डेस्क
किन्नरों की दुनिया भी बेहद रहस्यमयी है। महिला और पुरुषों के इतर एक और लिंग भी इस दुनिया में है, यह स्वीकार करने में हमारे संविधान को करीब 70 साल लग गए, लेकिन समाज ने आज भी इन्हें दिल से स्वीकार नहीं किया है। कुछ खास मौकों पर ही किन्नरों को यह समाज अपने बीच आने देता है, बाकी समय न तो समाज को किन्नरों की जिंदगी से कोई सरोकार है और ना ही किन्नर सामान्य लोगों के बीच अपनी जिंदगी के रहस्य का पर्दा उठाते हैं। यही वजह है कि जब शहर में किन्नरों के बीच खूनी संघर्ष होने लगा तो लोगों को स्वाभाविक हैरानी हुई, क्योंकि आमतौर पर लोगों ने किन्नरों की एकजुटता ही देखी है । बिलासपुर में पिछले कुछ दिनों में किन्नरों के बीच मारपीट, थाना कचहरी होने लगा है। किन्नरों की दुनिया के बारे में जो लोग थोड़ा बहुत जानते हैं उन्हें पता है कि यहां सत्ता का केंद्र गुरु होती है। गुरु के चेले सारा काम करते हैं और फिर इन्हीं में से कोई गुरु की गद्दी संभालता है। बिलासपुर और आसपास के क्षेत्र में फिलहाल किन्नरों के तीन गुट सक्रिय हैं ।करीब 25 सालों से गुरु गोसाई इनकी गुरु है । वही गुरु गोसाई के नियंत्रण में 3 किन्नरों का दल यहां सक्रिय है। खास मौकों पर घर जाकर बधाई देने से लेकर ट्रेनों में भीख मांगने और घर घर जाकर दुआ के बदले बक्शीश लेने वाले इस समुदाय के तीन गुट फिलहाल यहां काबीज है। सोनिया हाजी , विमला हाजी और राजा किन्नर इन गुटों के मुखिया हैं ।जब यही लोग टोलियों में निकलते हैं तो उनकी भाषा में इसे ढोलक निकलना कहा जाता है। मतलब यहां 3 ढोलक निकलते हैं और जिनके बीच एक गुरु होने की वजह से सामंजस्य स्थापित है, लेकिन इसी बीच महाराष्ट्र, झारखंड ,पश्चिम बंगाल और उड़ीसा के किन्नरों का एक गुट यहां पहुंच चुका है। जैसे एक जंगल में दो शेर नहीं रह सकते और उनके बीच संघर्ष है तय है, उसी तरह बाहरी किन्नरों के आने से यहाँ भी किन्नरों के बीच खूनी संघर्ष आरंभ हो गया। बिलासपुर में राजा किन्नर के ग्रुप में करीब 100 किन्नर है जो अपनी कमाई से हर महीने अपने गुरु यानी राजा किन्नर को दो 2000 रुपये यानि करीब 2 लाख रुपये देते हैं। ऐसा किन्नरों का अलिखित संविधान है। जिसके तहत गुरु की सेवा की जाती है। यह रकम छोटी मोटी नहीं है, इसीलिए किन्नरों के बीच भी लालच पैदा हो चुका है। कभी राजा किन्नर के ही चेले रहे रजिया, चंचल और मुन्ना किन्नर की नियत इसी बड़ी रकम को देखकर डोल गई और उन्होंने अपना अलग गुट बनाने का निर्णय लिया । राजा किन्नर के गुट से बाहर किए जाने के बाद इन लोगों ने अन्य राज्यों के किन्नरों के साथ मिलकर एक नया गुट बना लिया ,जो अब शहर में कब्जा करने का प्रयास कर रहे हैं। बिलासपुर में अपनी बादशाहत कायम करने की इसी कोशिश की वजह से दोनों गुटों में लगातार संघर्ष हो रहा है। पिछले दिनों किन्नरों के दो गुटों में जमकर मारपीट हुई । जिसके बाद पुलिस में भी शिकायत की गई । अब राजा किन्नर गुट के किन्नरों का दावा है कि पुलिस ने पीड़ित पक्ष पर ही कार्यवाही कर दी है। दूसरे पक्ष के बहकावे में आकर पुलिस बिलासपुर के स्थानीय किन्नरों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज कर रही है , इसलिए गुरुवार को राजा किन्नर गुट के किन्नरों ने एसपी और कलेक्टर से मिलकर पुलिस कार्यवाही का विरोध किया और इस मामले में निष्पक्ष जांच की मांग की। साथ ही उन्होंने कहा कि बिलासपुर में संघर्ष रोकने के लिए चौथे बाहरी ग्रुप के प्रवेश पर जिला प्रशासन प्रतिबंध लगाए। किन्नरों ने बिलासपुर विधायक को भी अपनी शिकायत दर्ज कराई है। आम लोगों के लिए किन्नरों का यह गुटीय संघर्ष शायद कोई मायने नहीं रखता, लेकिन किन्नरों के लिए यह अस्तित्व की लड़ाई है, जिसमें अगर पुलिस और प्रशासन ने जल्द दखल नहीं दिया तो फिर कानून व्यवस्था के बिगड़ने का अंदेशा भी बना सकता है