
भुवनेश्वर बंजारे

बिलासपुर – जैसे जैसे समय बीत रहा है वैसे वैसे कोरोना संक्रमण को लेकर प्रशासनिक व्यवस्था भी अपने पुराने रवैये की ओर ही अग्रेषित हो रहे है। जिसका सीधा नुकसान प्रवासी मजदूरों को हो रहा है। मजदूरों की मौत के बाद भी अब क्वारंटीन सेंटरो में मजदूरों को उचित सुविधा नही मिल रही है। जिसकी वजह से ही रोजाना जिले के अलग अलग हिस्सों से क्वारंटीन सेंटरो में अव्यवस्था के मामले प्रकाश में आ रहे है। यही नही अब स्वास्थ्य विभाग की कार्य प्रणाली भी मजदूरों के स्वास्थ्य के प्रति गंभीर नजर नही आ रही है। बची खुची कसर सिम्स हॉस्पिटल की लचर व्यवस्था, प्रशासनिक दावों की पोल खोलने के लिए काफी है। ताजा मामला सीपत थाना क्षेत्र के क्वारंटीन सेंटर का देंखने को मिला है। जहाँ शनिवार रात को सीपत थाने के पास हाईस्कूल क्वारंटाइन सेंटर में इलाहाबाद से लौटे विजय यादव को चक्कर आ गया। जिसकी सूचना श्रमिक के साथियों ने चौकीदार को दी। जिसे उसकी पत्नी उषा बाई को जांच कराने के लिए रात 10:35 को सिम्स भेज दिया गया। जहाँ रात में ही मरीज के जांच कर उसे वापस लौटने कह दिया गया। लेकिन गाड़ी नही मिलने के वजह से वह सिम्स में ही फसे रह गए, जिसकी सुध सिम्स के कर्मचारियों ने नही ली। लिहाजा श्रमिक अपनी पत्नी के साथ सिम्स के वाहन पार्किंग के नीचे बैठे रहे। जिसकी जानकारी क्वारंटाइन सेंटर के अधिकारियों को भी दी गई लेकिन वहाँ से भी कोई मदद नही मिल सकी।
क्वारंटाइन सेंटर से डॉक्टर रहते है नदारद..

कोरोना संक्रमण के कारण आवगमन की सुविधा बंद होते ही दिगर राज्य में फसे श्रमिको को लाने के लिए शासन ने श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाई थी। जिसके माध्यम से आने वाले मजदूर परिवार को 14 दिन क्वारंटाइन में रखने के लिए जिले के पंचायत, स्कूल और अन्य शासकीय भवनों को पनाहगार बनाया है। जहाँ प्रशासन ने क्वारंटाइन सेंटरो में खाने पीने की समुचित व्यवस्था के साथ स्वास्थ्य विभाग द्वारा 24 घन्टे डॉक्टर तैनात किए गए थे। श्रमिको की माने तो क्वारंटाइन सेंटर में डॉक्टर कभी कभी ही आते है। शायद यही एक वजह रही कि विजय को मामूली सी चक्कर आने पर सीधे सिम्स भेज दिया गया।
खाने को लेकर नही ली किसी जिम्मेदार ने सुध..

सीपत क्वारंटाइन सेंटर से इलाज के लिए सिम्स आए श्रमिक ने बताया कि रात में भी किसी जिम्मेदार अधिकारी ने उनकी सुध नही ली। यही नही उन्हें किसी ने खाना भी नही दिया। वह वाहन के इन्तजार में बैठे रहे पर जब भूख असहनीय हुई तो उन्होंने बिस्किट खा कर ही रात गुजारी। श्रमिक के अनुसार सिम्स के पार्किंग शेड में काफी लोग रुके थे। जिनके लिए भी खाने की व्यवस्था नही हुई थी।