
रायपुर एवं बिलासपुर स्टेशन में क्लीन ट्रेन स्टेशन के रूप में नामित किया गया
बिलासपुर आलोक अग्रवाल
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे द्वारा लगभग 315 ट्रेनों का प्रतिदिन परिचालन एवं औसतन 3 लाख 40 हजार से अधिक लोगों को उनके मंजिल तक पहॅुचाया जा रहा है। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे भारत में सर्वाधिक लदान करने वाले रेलवे जोनों में से एक है। इसके साथ ही साथ यह रेलवे प्रतिदिन औसतन 315 ट्रेनों का परिचालन करती है। जिनमे प्रतिदिन लगभग साढे 3 लाख यात्री सुरक्षित अपने गंतव्य तक सफर कर रहे है। सैकडों की तादात में गाडियों का परिचालन करने के लिये दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के 435 के लगभग कोचों का प्रतिदिन रखरखाव किया जाता है। इनका रखरखाव कर यांत्रिक विभाग एवं इनके अंतर्गत आने वाले विभिन्न रेल मंडलों में अव्यवस्थित कोचिंग डिप्पों एवं मेमू, डेमू शेड जेसे महत्वपूर्ण संस्थान दिन-रात कार्य करते रहते है।दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में प्रमुख रूप से कोचों के रखरखाव के कार्य के लिए बिलासपुर, दुर्ग, गोंदियां में तीन डिपो बना रखे है। जिनमें प्रतिदिन सैकडों कोचों का रख-रखाव प्रतिदिन किया जाता है। कोचिंग संबंधित विभिन्न प्रकार के रख रखाव व यात्री सुविधाओं से संबंधित कार्य यांत्रिक विभाग द्वारा सम्पादित किया जाता है।
इनकी कोचिंग होल्डिंग क्षमता 1232 कोचों की है जिनमें एल.एच.बी. कोच भी शामिल है। इसके अलावा 42 जोड़ी ट्रेनों की प्राथमिकता एवं 11 ट्रेनों की सेकेंडरी रखरखाव की जाती है। वही छोटी लाईनों में चलने वाली 8 रैक नेरो-गेज, रैक मोतीबाग एवं रायपुर के वर्कशाप डब्लूआरएस में रख-रखाव की जाती है। छोटी लाइन के डिपो में 92 कोचों के रख-रखाव की क्षमता है।
इसके अतिरिक्त दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के 23 ट्रेनों में ऑन बोर्ड हाउसिंग किपिंग सर्विस उपल्ब्ध करायी जारही है। ताकि चलती ट्रेनों में भी स्वच्छ्ता एवं अन्य सुविधा यात्रियों को प्रदान की जा सके। रायपुर एवं बिलासपुर स्टेशन में क्लीन ट्रेन स्टेशन के रूप में नामित किया गया है। यह सुबह 06.00 बजे से रात्रि 22.00 बजे तक स्टेशनों से गुजरने वाली ट्रेनों की साफ सफाई आधुनिक मशीन से कराई जाती है, जिसमें प्रतिदिन बिलासपुर में 53 ट्रेन एवं रायपुर में 14 ट्रेन शामिल है।
कोच मि़त्र के तहत भी चलती हुई 23 ट्रेनों में रेल यात्रियों के द्वारा 183 हेल्पलाइन से प्राप्त शिकायतों व सुझावों के आधार पर साफ-सफाई उपलब्ध कराई जाती है। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के 85 प्रतिशत ट्रेनों में बायो-टायलेट की सुविधा प्रदान की जा चुकी है एवं बाकी ट्रेनों में मार्च 2019 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के सभी ट्रेनों में पेस्ट एवं रोडेन्ट कंट्रोल प्रतिदिन किया जा रहा है।