
डेस्क
जब रक्षक ही भक्षक बन जाए , जब बाड़ ही फसल चौपट करने लगे, तो फिर सुरक्षा कैसे हो ? ऐसा ही कुछ हुआ जब बैंक अधिकारी ने अपने ही बैंक में डाका डाल दिया। हालांकि उसने यह काम मजबूरी में किया। अपने पिता का इलाज कराने के लिए रकम की व्यवस्था ना होने पर बैंक अधिकारी ने उसी बैंक में चोरी करने की योजना तैयार की, जिसमें वह काम करता था। जना स्मॉल फाइनेंस बैंक शाखा अशोकनगर सरकंडा के मैनेजर सादिक़ मोहम्मद ने 16 सितंबर को सरकंडा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी, जिसमें उसने कहा था कि जब उसने सुबह बैंक का ताला खोला तो पता चला कि बैंक का ताला टूटा हुआ है अंदर जाकर देखने पर यह भी पता चला कि अलमारी खुली हुई है और बैंक की अलमारी में रखी वसूली की रकम 6 लाख 77हज़ार 73 रुपए गायब है।
सरकंडा थाने में रिपोर्ट लिखाई गई कि किसी अज्ञात चोर ने 16 सितंबर की रात जना स्मॉल फाइनेंस बैंक में चोरी की वारदात को अंजाम देते हुए करीब पौने 7 लाख रुपए पार कर दिए । इस भारी-भरकम चोरी के बाद पुलिस हरकत में आई और बैंक में लगे सीसीटीवी कैमरे के फुटेज को बारीकी से जांचा गया। घटना के वक्त एक नकाबपोश व्यक्ति घटना को अंजाम देता दिखा । हुलिए के आधार पर बैंक में उपस्थित अधिकारी और कर्मचारियों की जांच की गई । कुछ कर्मचारियों से अलग-अलग पूछताछ भी की गई । इसी दौरान एक कर्मचारी गोलमोल बातें करते पाया गया। संदेह होने पर जब पुलिस ने कड़ाई से पूछताछ की तो अपराधी टूट गया। पता चला, बैंक के ही एक अधिकारी उपेश श्रीवास्तव ने ही इस घटना को अंजाम दिया था। मूलतः रतनपुर निवासी उपेश वर्तमान में मंदिर चौक, जरहाभाठा के पास अरपा लॉज में रहता है । और वह जना स्मॉल फाइनेंस बैंक में एरिया हेड के पद पर कार्यरत है। घटना वाले दिन रविवार होने की वजह से बैंक आधे दिन खुला था। इसलिए बैंक मैनेजर और शनिवार और रविवार को बैंक कर्मचारियों द्वारा जमा किए गए कुल रकम को बैंक मैनेजर द्वारा अलमारी में रखते हुए उपेश ने देखा था। उसे अपने पिता के इलाज के लिए पैसों की जरूरत थी, इसलिए 15 सितंबर की रात करीब 9:00 बजे वह बैंक पहुंचा और दरवाजे और अलमारी का ताला तोड़कर अलमारी में मौजूद 6 लाख 77 हज़ार और 73 रु भी पार कर दिए। जिसे उसने अपने घर में छुपा दिया।
इकबालिया बयान के बाद एक तरफ जहां पुलिस ने तुरंत आरोपी को गिरफ्तार कर लिया तो वही हमराह स्टाफ ने आरोपी के कमरे से रकम भी बरामद कर ली। पिता के इलाज के नाम पर अपने ही बैंक में चोरी करने वाला बैंक अधिकारी धर दबोचा गया।
ना माया मिली ना राम वाली स्थिति रुपेश के साथ हुई है। ना तो चोरी की रकम से वह पिता का इलाज करा पाया और ना ही अब उसकी नौकरी बचेगी। उल्टे जेल की हवा भी खानी पड़ेगी। इसीलिए कहते हैं, बुरे काम का बुरा नतीजा।