
रमेश राजपूत

बिलासपुर– कोरोना काल में लगातार इंसानियत को तार-तार कर देने वाली घटनाएं सामने आ रही है कभी पॉजिटिव बताकर परिजनों से लाखों रुपए लिए जा रहे हैं तो वही इलाज के दौरान संक्रमित की मौत होने के बाद उसे बाहर छोड़ दिया जा रहा है जिससे संक्रमण फैलने के खतरे के साथ ही इंसानियत तार-तार होती नजर आ रही है ऐसा ही एक मामला बिलासपुर के निजी हॉस्पिटल केयर एंड क्योर में सामने आया है जहां तोरवा निवासी कोविड मरीज को इलाज के लिए भर्ती किया गया था पर जैसे ही मरीज को हॉस्पिटल में भर्ती किया गया तो उसकी 10 मिनट बाद मौत हो गई, पैसे की लालच में अंधे हो चुके हॉस्पिटल प्रबंधन ने इंसानियत की सारी हदें पार कर दी जहाँ इलाज के लिए एक लाख देने के बाद भी संक्रमित मरीज के शव को हॉस्पिटल के बाहर एक किनारे में लावारिस छोड़ दिया गया, वही इस शर्मसार कर देने वाली घटना से संस्कारधानी के संस्कार को गहरा आघात पहुंचा है आपको बता दें बुधवार की देर रात तोरवा निवासी कोविड पॉजिटिव को जिला अस्पताल में भर्ती किया गया था जहां बेहतर इलाज नहीं मिलने के कारण परिजनों ने उसे गुरुवार की शाम केयर एंड क्योर हॉस्पिटल में भर्ती कराया भर्ती कराने के पहले मरीज के परिजनों से 100000 रुपए हॉस्पिटल में जमा कराएं गए, जिसके 10 मिनट बाद ही संक्रमित मरीज ने दम तोड़ दिया।

कुल मिला कर मरीज के जीवन के महज 10 मिनट की कीमत के बदले प्रबंधन ने एक लाख रुपए वसूल कर लिए और शव को लावारिस हालत में हॉस्पिटल के बाहर छोड़ दिया। हद तो तब हो गई जब परिजनों के गुजारिश करने के बाद भी अस्पताल प्रबंधन ने शव को मरच्यूरी में रखने से इंकार कर दिया जिसके बाद लाचार परिजन अपनी व्यवस्था से शव को रखने फ्रीजर लेकर पहुँचे। लेकिन उसमें भी रखने प्रबंधन तैयार नही हुआ। लगातार सामने आ रहे हैं इस तरह के मामले ने डॉक्टरी के पेशे को बदनाम करने कोई कसर नहीं छोड़ी है। कुछ डॉक्टर शायद सिर्फ पैसे कमाने के लिए डॉक्टरी करते हैं जिनके अंदर का इंसान मर चुका है। देवता कहे जाने वाले डॉक्टर अब कुछ लालची लोगों के कारण बदनाम हो रहे हैं पर इन सब बातों से केयर एंड क्योर प्रबंधन को कोई सरोकार नहीं है उन्हें तो बस पैसे से मतलब है फिर किसी की जान बचे या ना बचे पर इनमें इतनी शर्म तो होनी चाहिए थी कि वह मृत शरीर को सम्मान दे देते पर ऐसा हुआ नहीं कहां चले गए वह न्यायधानी के संस्कार क्या पैसा ही सब कुछ होता है।