
धरमलाल कौशिक के खिलाफ कार्यकर्ताओं में नाराजगी थी उसे दूर करने अमित शाह को यह फैसला लेना पड़ा
बिलासपुर प्रवीर भट्टाचार्य
आखिरकार भारतीय जनता पार्टी ने छत्तीसगढ़ मैं अपना अध्यक्ष बदल लिया। हाल ही में घोषणा हुई थी कि लोकसभा चुनाव तक धरमलाल कौशिक ही पार्टी के अध्यक्ष रहेंगे ।कई मर्तबा यह भी कहा गया था कि लोकसभा चुनाव भारतीय जनता पार्टी डॉ रमन सिंह के नेतृत्व में नहीं बल्कि प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक के नेतृत्व में लड़ेगी लेकिन विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद से ही उनके खिलाफ पार्टी में ही बगावती सुर तेज होने लगे थे। हार की समीक्षा करते हुए उन्होंने जिस तरह कार्यकर्ताओं को दोषी ठहराया था उससे कार्यकर्ताओं में अध्यक्ष को लेकर गहरा आक्रोश नजर आया था। इतना ही नहीं उन्होंने यह भी बयान दिया था कि हार गए तो हार गए क्या होता है ।जीत के प्रति इस कदर बेपरवाही को शीर्ष नेतृत्व ने भी गंभीरता से लिया और शुक्रवार शाम नए प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा कर दी गयी। इस बार आदिवासी नेता विक्रम उसेंडी को प्रदेश का कमान दिया गया है ।विक्रम उसेंडी कांकेर से भाजपा सांसद है। उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि भारतीय जनता पार्टी के साथ पुरानी रही है ।वहीं प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी एक आदिवासी नेता को देखकर भारतीय जनता पार्टी ने आदिवासी वोटों को साधने का काम भी किया है। विक्रम उसेंडी की छवि बेदाग और मिलनसार नेता की रही है ,इसलिए उम्मीद की जा रही है कि वे पार्टी के अलग-अलग केंद्रों को अपने साथ लेकर चल पाएंगे, लेकिन ठीक लोकसभा चुनाव के पहले मिली जिम्मेदारी उनके लिए चुनौती भी साबित हो सकती है। पार्टी के लिए भी इस वक्त प्रदेश अध्यक्ष बदलना मुश्किल भरा फैसला साबित हो सकता है, लेकिन जिस तरह धरमलाल कौशिक के खिलाफ कार्यकर्ताओं में नाराजगी थी उसे दूर करने अमित शाह को यह फैसला लेना पड़ा।