
हरिशंकर पांडेय
मल्हार – बासंती चैत्र नवरात्र के सातवें दिन मंगलवार को माँ डिडनेश्वरी देवी की आराधना माता कालरात्रि के रूप में हुई। सुबह वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पंचोपचार पूजन के बाद माँ की भव्य मंगल आरती हुई। नवरात्र में देवी आराधना का विशेष महत्व माना जाता है इसलिए इस तिथि को दर्शनार्थियों की हजारो की संख्या में भीड़ होती है मंगलवार को भी यहां 20 हजार से ज्यादा भक्तों ने माँ के दर्शन कर मनवांछित फल की कामना की।
आसपास के गाँव के अलावा दूरस्थ अंचलों से बड़ी संख्या में अपने साधनों से लोग पहुचे। मनोकामना के लिए लोट मारते, जमीन नापते भी कई श्रद्धालु माँ के दरबार पहुचकर आशीर्वाद लिया। मंदिर परिसर व आसपास स्थल दिनभर खचाखच भरी रही जिससे मेले जैसा माहौल दिन भर रहा। कई श्रद्धालुओ ने भंडारा लगाकर प्रसाद वितरण किया वही गर्मी के मौसम को देखते हुए शर्बत व ठंडा पानी पिलाकर श्रद्धालुओं को तृप्त किया। इसके अलावा मंदिर ट्रस्ट द्वारा खीर पूड़ी का प्रसाद भी वितरण कराया गया। मंदिर परिसर में चल रहे श्रीमद भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ के कथावाचिका सुंदर सुमन दुबे संगीतमय कथा का रसपान लोगो को करा रही है
जिसमे बड़ी संख्या में लोग पहुँच रहे है। ट्रस्ट के अध्यक्ष शैलराज कैवर्त ने बताया कि अष्टमी तिथि बुधवार को हवन, कन्या भोज व ब्राम्हण के साथ ही सभी अनुष्ठान संपन्न होंगे। आज शाम की भव्य व विशेष मंगल आरती में सैकड़ो श्रद्धालु शामिल हुए जिसमे महिलाओ की संख्या सबसे ज्यादा रही।।
माता पार्वती है डिडनेश्वरी माँ….
कथावाचिका श्रीमती दुबे ने माँ डिडनेश्वरी की महिमा बताते हुए कहा कि तपोमुद्र में बैठी माता भगवान शिव को पाने बैठी है और दृण निश्चय के साथ बैठी है इसलिए इनका नाम भी डिडनेश्वरी पड़ा। उन्होंने कहा कि जन्म कोटि लगी रगर हमारी, बरउ शंभु न त रहउ कुवांरी। तजउ न नारद पर उपदेषु, आप कहहि सत बार महेषु।।
अर्थात माता पार्वती सप्तऋषि से कहती है कि मेरा तो करोड़ो जन्मों तक यही हठ रहेगा कि या तो शिव जी को वरूँगी नही तो कुंवारी ही रहूंगी। स्वयं शिवजी सौ बार कहे तो भी नारद जी के उपदेश को नही छोडूंगी और इस तरह माता पार्वती की तपस्या से स्वयंभू भगवान शिव धर्मनगरी मल्हार में प्रगट हुए है जो भगवान पातालेश्वर के नाम से पूजे जाते है।