
रमेश राजपूत
रायपुर – छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा बिना जमीनी सर्वे, स्थानीय परिस्थितियों और वास्तविक बाजार मूल्य के आकलन के भूमि की गाइडलाइन दरों में की गई भारी बढ़ोतरी के खिलाफ प्रदेशभर के किसानों में आक्रोश है। शनिवार को रायपुर प्रेस क्लब में आयोजित संयुक्त पत्रकार वार्ता में किसानों और अधिवक्ताओं ने इस निर्णय को एकतरफा, जनविरोधी और किसानों पर आर्थिक बोझ डालने वाला बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार राजस्व बढ़ाने के उद्देश्य से किसानों के हितों की अनदेखी कर रही है। किसान संगठनों ने बताया कि बढ़ी हुई गाइडलाइन दरों के विरोध में अब तक लगभग 300 किसानों ने रायपुर कलेक्ट्रेट में आपत्तियां दर्ज कराई हैं और यह प्रक्रिया लगातार जारी है। संगठनों का दावा है कि कई क्षेत्रों में गाइडलाइन दरों में 100 से 600 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी कर दी गई है, जबकि उन क्षेत्रों में न तो बुनियादी सुविधाएं हैं और न ही जमीन की वास्तविक बाजार मांग। इसके बावजूद इन क्षेत्रों को उच्च श्रेणी में रखकर दरें बढ़ा दी गईं, जो किसानों के साथ सीधा अन्याय है। किसानों का कहना है कि जमीन के रेट बढ़ने से रजिस्ट्री, स्टाम्प ड्यूटी, नामांतरण, बैंक ऋण, पारिवारिक बंटवारे और अन्य कानूनी प्रक्रियाएं अत्यधिक महंगी हो गई हैं। इसका सीधा असर छोटे और मध्यम किसानों के साथ-साथ मध्यम एवं निम्न आय वर्ग के लोगों पर पड़ रहा है, जिनके लिए अब जमीन और आवास तक पहुंच मुश्किल होती जा रही है। पत्रकार वार्ता में यह भी बताया गया कि अचानक हुई इस वृद्धि से जमीन की खरीदी-बिक्री लगभग ठप हो गई है। कृषि भूमि, छोटे व्यवसाय और पारंपरिक प्रॉपर्टी कारोबार बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं, जिससे बेरोजगारी बढ़ने की आशंका है। कई किसान इलाज, बच्चों की पढ़ाई, शादी और गृह निर्माण जैसी जरूरी जरूरतों के लिए भी जमीन बेचने में असमर्थ हैं। किसान संगठनों ने नई गाइडलाइन में नेशनल हाईवे, स्टेट हाईवे, प्रधानमंत्री सड़क और गांव के पहुंच मार्ग सभी को मुख्य मार्ग मानने पर भी आपत्ति जताई और इसे अव्यवहारिक बताया।

उन्होंने कहा कि भूमि केवल संपत्ति नहीं, बल्कि किसानों के जीवन, रोजगार और भविष्य का आधार है। बिना व्यापक जन-परामर्श और बाजार अध्ययन के लिया गया यह फैसला जनभावनाओं के खिलाफ है। किसानों की मांग है कि बढ़ाई गई गाइडलाइन दरों को तत्काल स्थगित किया जाए, सभी क्षेत्रों में वास्तविक जमीनी सर्वे कराया जाए और किसान संगठनों, जनप्रतिनिधियों व विशेषज्ञों से चर्चा के बाद ही नई दरें तय हों। चेतावनी देते हुए किसानों ने कहा कि यदि सरकार ने संवाद के बिना फैसले थोपे, तो इसका खामियाजा आम जनता और किसानों को भुगतना पड़ेगा।
इस पत्रकार वार्ता में अधिवक्ता आकाश हिंदुजा, अधिवक्ता व किसान केशव वैष्णव, किसान भीषण बंजारे, जुड़ावन साहू, पवन कुमार साहू, राम कुमार साहू, थलेंद्र साहू, दिलीप साहू, अमीन खान, जीतू देवांगन, तीरथ, नोहर हरबंश, दिलीप नवरंगें, टेकराम वर्मा, धनंजय घृतलहरे, प्यारेलाल महेश्वरी, घनश्याम वर्मा सहित बड़ी संख्या में किसान उपस्थित रहे।