
भुवनेश्वर बंजारे
बिलासपुर – अनुसंधान एवं विस्तार वनमंडल, बिलासपुर के कार्यालय में कार्यरत कर्मचारियों ने मुख्य लिपिक अरविंद कुमार सिंह पर गाली-गलौज, अपशब्दों के प्रयोग एवं अभद्र व्यवहार जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। इस संबंध में समस्त कर्मचारियों ने 22 दिसंबर 2025 को वनमंडलाधिकारी को लिखित शिकायत सौंपते हुए मामले की निष्पक्ष जांच और कड़ी विभागीय कार्रवाई की मांग की है। कर्मचारियों के अनुसार, दिनांक 17 दिसंबर 2025 को कार्यालय में नियमित शासकीय कार्य चल रहा था। स्थापना शाखा में सहायक ग्रेड-03 संदीप यादव अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे थे। इसी दौरान मुख्य लिपिक अरविंद कुमार सिंह कथित रूप से कार्यालय में पहुंचे और बिना किसी ठोस कारण के कर्मचारियों पर नाराजगी जाहिर करते हुए ऊंची आवाज में गाली-गलौज करने लगे। आरोप है कि उन्होंने कर्मचारियों को अपमानजनक शब्द कहे, जिससे कार्यालय का माहौल तनावपूर्ण हो गया।शिकायत में यह भी उल्लेख किया गया है कि यह पहली बार नहीं है, बल्कि मुख्य लिपिक द्वारा कर्मचारियों के साथ इस तरह का व्यवहार पूर्व में भी किया जा चुका है। कर्मचारियों का कहना है कि बार-बार होने वाली ऐसी घटनाओं से कार्यालय में भय का वातावरण बन रहा है और कर्मचारी मानसिक रूप से प्रताड़ित महसूस कर रहे हैं। इससे न केवल कर्मचारियों का मनोबल गिर रहा है, बल्कि शासकीय कार्यों की कार्यकुशलता भी प्रभावित हो रही है। कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि मुख्य लिपिक द्वारा अपने पद का दुरुपयोग करते हुए कनिष्ठ कर्मचारियों को धमकाया जाता है और अनावश्यक रूप से उनके कार्यों में हस्तक्षेप किया जाता है।

इससे विभागीय अनुशासन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। शिकायत में यह भी कहा गया है कि यदि समय रहते इस प्रकार के आचरण पर रोक नहीं लगाई गई, तो भविष्य में कोई गंभीर या अप्रिय घटना भी घट सकती है। समस्त कर्मचारियों ने संयुक्त रूप से मांग की है कि छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम 03 एवं 23 के उल्लंघन के आधार पर मुख्य लिपिक के विरुद्ध कठोर विभागीय कार्रवाई की जाए। कर्मचारियों ने यह भी आग्रह किया है कि कार्यस्थल पर शांति, अनुशासन और सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाए रखने के लिए प्रशासन को शीघ्र निर्णय लेना चाहिए। इस मामले की जानकारी वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, मुख्य वन संरक्षक एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को भी भेजी गई है। कर्मचारियों को उम्मीद है कि उच्चाधिकारी मामले की गंभीरता को समझते हुए निष्पक्ष जांच कराएंगे और दोषी पाए जाने पर उचित कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे। फिलहाल, पूरे प्रकरण को लेकर वन विभाग के कर्मचारियों में चर्चा का माहौल है और सभी की नजरें प्रशासनिक निर्णय पर टिकी हुई हैं। अब देखना होगा कि विभाग इस संवेदनशील मामले में क्या कदम उठाता है और क्या कर्मचारियों को न्याय मिल पाता है या नहीं।